संघर्षशील,क्राति के जज्बे
व हिम्मत बहादुरी से परिपूर्ण,
वर्ष 2011
तुम्हे शतशत नमन।
चाहे काहिरा का तहरीर चौक हो,
या न्यूयोर्क का जुकोटी पार्क,
बने तुम हजारों लाखों आमजनों की
उभरी भावनाओं की अभिव्यक्ति,
एथेस से लेकर मैड्रिड तक,
नई दिल्ली से लेकर मास्को तक
उभरे तुम अन्याय के खिलाफ आवाज बनकर ।
2011 तुमको शत-शत नमन।1।
अरब दुनिया में फैली मनमानी ,
ट्यूनिसिया,मिस्र,लीबिया और यमन की तानाशाही,
प्रस्तुत हुये जनाक्रोश बनकर,
उखाड़ फेंखने इन क्रूर शासकों की
निरंतर जारी क्रूरता व जनतबाही
जनता के विद्रोह बनकर।
वर्ष 2011
तुम्हे शतशत नमन।2।
अन्याय के असुर फैले विश्व में
हैं अनेको अनगिनत रूप इनके,
कहीं आर्थिक व भौतिक अव्यवस्था
तो कहीं राजनीतिक कुव्यवस्था,
कहीं है घोर सामाजिक विषमता
तो कहीं हैं शून्य न्याय-समता
कहीं धर्म का है फैलता आतंक,
तो है कहीँ शक्ति का अतिदंभ।
कही मुद्रास्फीति की विकट मार,
तो कहीं घनघोर भ्रष्टाचार,
संत्रप्त है यह धरा जब यत्रतत्र फैलते परिताप से,
तब तुम उठे जनरूप में चहुँओर ही,
न्याय की गुहार बनकर ।
वर्ष 2011
तुमको शतशत नमन ।3।
जब जूझता है देश भ्रष्टाचार से ,
दिखती हुई हर दिशा विकाश की धूमिलमयी ,
और तुम तो जा रहे हो,
हो प्रस्थानमय, अस्ताचल में अवस्थित,
किंतु अवसान के पूर्व तुम आशीर्वाद देना,
इस उभरते,आकांक्षा भरे,
युवाशक्ति से भरे भारत देश को
जो कि आज असहाय सा है
किसी कुशल नेतृत्व के अभाव में
कि यह जयी हो,
हो विजय इसके जनाकांक्षाओं की ,
मुक्त हो अन्याय,भ्रष्टाचार से,
यह समृद्ध हो,गौरवमयी हो
विकसित देश बनकर।
वर्ष 2011
तुमको शतशत नमन।4।