पिछले दिनों मैं एक दिन के लिये कुछ व्यक्तिगत
काम से दिल्ली (गुड़गाँव) गया था , तो कुछ समय-अवकाश लेकर अपने घनिष्ठ मित्र श्री
अनिल जांगिड़ से मिलने फरीदाबाद भी गया । गुड़गाँव से फरीदाबाद की हाईवे व इसके
दोनों और की व्यवस्थित हरियाली को देखकर बहुत अच्छा लगा। बस यही विचार व कामना मन
में आयी कि यह हरियाली कायम रहे, न कि आने वाले समय में विकास व निर्माण के नाम पर इसे नष्ट कर दिया जाय, जैसा कि प्रायः
हो रहा है, और बंगलौर जैसा शहर तो इसका सबसे बड़ा शिकार रहा हैं।
श्री अनिल जांगिड़ से मेरी मित्रता लगभग आठ साल
पुरानी है, जब मेरी 2004 में दिल्ली मेट्रो रेल प्रोजक्ट में जनरल कंसल्टेंट राइट्स
द्वारा तैनाती हुई, और वे वहाँ पहले से ही कार्यरत थे। चूँकि हम दोनों भारतीय रेल
सेवा के एक ही सर्विस कॉडर से संबंध रखते हैं, अतः पूर्व से ही एक-दूसरे के नाम से
तो परिचित थे किंतु साथ-साथ काम करने का व व्यक्तिगत रुप से एक दूसरे को जानने का
यह प्रथम अवसर था।
श्री अनिल जांगिड़- अपने सपनों में पूरी आस्था |
सन् 2006 में उन्होने भारतीय रेल सेवा छोड़ दी व अपनी
वित्त,संरचना परामर्श प्रबंधन कार्यक्षेत्र (Finance and Infrastructure Consultancy) में विशेष अभिरुचि
के कारण एक संबंधित प्रसिद्ध भारतीय प्राइवेट
कंपनी की सेवा करने लगे। 2007 में स्थानांतरण पर मैं बंगलौर मेट्रो रेल
प्रोजेक्ट में कार्य करने हेतु बंगलौर आ गया , जहाँ पर पुनः हम दोनों ने साथ-साथ काम
किया जब वे अपनी कंपनी की तरफ से बंगलौर मेट्रो प्रोजेक्ट हेतु एक अति महत्वपूर्ण डिटेल
डिजाइन कंसल्टेंसी कार्य हेतु प्रोजेक्ट लीडर का कार्य देख रहे थे । वर्ष 2009 में
अपने प्रबंधन की पढ़ाई हेतु बंगलोर मेट्रो रेल विभाग का कार्य छोड़कर मैं IIM Bangalore में प्रबंधन की
पढ़ाई करने चला गया व उसके बाद रेलवे की सेवा में वापस आ गया किंतु हम दोनों लगातार संपर्क में रहे
और परस्पर विचारों का आदान-प्रदान जारी रहा है।
दो वर्ष पूर्व उन्होंने कंपनी की नौकरी छोड़
अपनी निजी कंसल्टेंसी फर्म खोल ली व वर्तमान में वे अपनी कंपनी के मुखिया के रुप
में अपने व्यवसाय की देखभाल करते हैं।अपने पसंद कार्य-क्षेत्र के अनुरुप ही उनकी कम्पनी का नाम है- Leap Infraasys Pvt Limited फरीदाबाद में उनके ऑफिस व आवास पर जाकर बहुत
अच्छा लगा व उनके निजी श्रम व उत्साह से की गयी उपलब्धि व व्यवस्था ने मन को बहुत
प्रेरित व प्रभावित किया ।
उनकी सबसे महत्वपूर्ण बात जो मुझे काफी प्रभावित
करती है वह है उनकी अपने जीवन व व्यवसाय के प्रति दूरदृष्टि व उसके प्रति उनका आत्मविश्वास ।
प्रायः हम वर्तमान समस्य़ाओं, साथ ही साथ वर्तमान परिस्थितियों, में इतने उलझे व
संतुष्टभाव में रहते व जीते हैं, कि हमें अपने जीवन व अपनी जीवन-यात्रा के लम्बी
अवधि के योजनाओं व लक्ष्यों के प्रति उदासीनता
व दृष्टि में धुँधलापन हो जाता है । हम कभी अगले बीस-पचीस वर्ष बाद के अपने भविष्य
का खाका तैयार करने व उसके प्रति योजनाबद्ध तरीके से काम करने की न तो दृष्टि ही
रखते हैं और न ही संकल्प शक्ति । अपने उम्र के लेट थर्टीज या अरली फोर्टीज तक
पहुँचते-पहुँचते प्रायः हम अपने सपनों व पसंद के मुताबिक कुछ नया करने का साहस व
संकल्प खोने लगते हैं, और वर्तमान परिस्थितियों व हालात को सुरक्षित व खतरा-रहित
समझते हुये उसी को अपनाये व करते रहना जारी रखते हैं। अतः ऐसे पड़ाव पर सुरक्षित
सरकारी नौकरी छोड़कर अपने पसंद का उद्यम शुरु करना और अपनी कंपनी खड़ी करना मेरे
विचार से निश्चय ही अति प्रशंसनीय व साहसपूर्ण कदम है। इसके लिये मेरी अपने मित्र
को हार्दिक बधाई व शुभकामनायें ।
व्यक्ति के अलावा संस्थानों व किसी भी व्यावसायिक
कंपनी के लिये भी भविष्य के प्रति दूर-दृष्टि रखना अति आवश्यक है। यही कारण है कि
कंपनियाँ अपना Vision Document बनाती हैं, जो अगले 20,25, 30 या पचास
साल के भविष्य के भावी स्वरूप,उस नये व बदले परिवेश में कंपनी के वर्तमान व्यवसाय
व कार्यप्रणाली में आने वाली चुनौतियों , खतरों व साथ ही साथ नये व्यावसायिक
अवसरों का एक विस्त्रित खाका प्रस्तुत किया जाता है , और कंपनी के सपनों व
महात्वाकांक्षाओं के अनुरुप लक्ष्य व योजनायें निर्धारित की जाती हैं ।हमारी भारतीय
रेलवे का भी एक विजन डाकुमेंट है जो वर्ष 2020 के समयसीमा के अनुरूप है।
किंतु प्रश्न यह उठता है कि क्या हमारे विजन के अनुरूप
हमारी कार्ययोजनायें, व उनके क्रियान्वयन की प्रतिबद्धता व संकल्पशक्ति भी हमारे
अंदर है, क्योंकि प्रायः यह देखने में आता है कि कंपनी के उच्च पदासीन योजनाकार व नीतिकार
अपने वर्तमान के प्रति इतने असुरक्षित अनुभव करते हैं कि उनकी पूरी शक्ति व क्षमता
अपने वर्तमान अस्तित्व, पावर-टर्फ , और मोटे शब्दों में कहें तो अपनी कुर्सी व
इम्पायर,को बचाने में इतनी जाया हो जाती है कि उन्हे लम्बी अवधि की योजना अथवा
कंपनी का भविष्य अथवा उस हेतु कोई योजना बनाने या बनाने के बाद उनपर अमल करने की बाते बेमानी लगती है, यह उन्हें न तो प्रेरित
करती हैं और न तो उन्हे कोई व्यक्तिगत फायदा पहुँचाते दिखती हैं, और इसीलिये वे
इनमें कोई अभिरुचि भी नहीं दिखाते ।
यदि एक बड़े व विस्त्रित कैनवास पर देखें तो देश
के स्तर पर भी दूरदृष्टि व भावी योजना व उनके अनुपालन में भारी कमी व उपेक्षा के
कारक समान ही हैं, यानि सत्ता में बैठे प्रधान लोगों का वर्तमान के प्रति भारी
असुरक्षा,किसी भी बदलाव से अपने पावर-टर्फ के खिसकने की आशंका, व भविष्य व लम्बी
अवधि में फायदा पहुँचाने वाली योजनाओं से वर्तमान में सत्ता में बैठे लोगों को
सीधा लाभ न मिलना ।
सुंदर भविष्य की अभिकल्पना |