Saturday, November 24, 2012

विचार बनायें जीवन.....



इस तथ्य से ,कि हमारे मन के विचार ही स्थूल रूप धारण कर अंतत: हमारे वास्तविक जीवन में परिणित होते हैं, परिचय व स्वयं के जीवन में भी स्वल्प अनुभव तो विगत कुछ वर्षों से ही होता रहा है ।इसी निरंतर हो रही अनुभूति व उपजते क्रमश: विश्वास के प्रभाव में ही शायद मैंने कुछ दिनों पहले ही फेसबुक पर 'चिंतन' नाम से एक नया वेबपेज बनाया, जिसका टाइटल विवरण इस प्रकार  है-This whole universe is creation of our thoughts. अपने इस वेबपेज पर मैं अपने मन में उठने वाले विचार,कवितायें,कथन इत्यादि प्रतिदिन पोस्ट कर रहा हूँ और इससे मन को बड़ा अच्छा व प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है।

इस वेबपेज की रचना के कुछ दिन पश्चात ,तीन-चार दिन पहले ही, जबलपुर से मेरे एक मित्र,जो कि रेलवे में ही कार्यरत हैं,ने कुछ कार्यवश फोन किया व मेरी पत्नीजी जोकि अस्वस्थ चल रही हैं के स्वास्थ्य सुधार की हालचाल जानने के सिलसिले में ही उन्होने हमें एक अंग्रेजी मूवी The Secret देखने का सुझाव दिया।उन्होने यह विशेष जोर देकर कहा कि मैं व मेरी पत्नी दोनों को ही यह मूवी अवश्य देखनी चाहिये। उन्होंने इस मूवी की C.D. की प्रति भी जबलपुर से बंगलौर आने वाली ट्रेन में नियुक्त रेलवे स्टाफ के माध्यम से भेज दी जो मुझे कल सुबह मिल गयी।

हालाँकि आँफिस में कार्य की व्यवस्ततावश इसे तुरंत देखना संभव नहीं होता था परंतु दोपहर  लंच के पश्चात मैं अपने लैपटाप पर इस C.D की जाँच करने व मूवी से परिचय पाने की उत्सुकता को नहीं रोक पाया। किंतु जैसे-जैसे यह मूवी शुरुआत से आगे बढ़ी यह मुझे अति रोचक ,चमत्कारिक व अलौकिक प्रभाव वाली लगने लगी,मैं मंत्रवत् इसे करीब डेढ़ घंटे बिना किसी अंतराल के देखता रहा।इस बीच आफिस में बीच-बीच में मेरे स्टाफ की आवाजाही, मेरे मोबाइल फोन पर आनेवाली काल जैसे छोटे-मोटे व्यवधानों की उपेक्षा भी करनी पड़ी।

जैसा कि मूवी के शीर्षक The Secret से ही यह संकेत मिलता है , यह हमारे जीवन से संबंधित एक अद्भुत रहस्य से परिचित कराती है।यह मूवी कुछ वर्तमान विश्व के सुप्रसिद्ध दार्शनिकों,लेखकों,पराभौतिकशास्त्रियों ,डाक्टरों,सफल व्यवसायियों की विचार-श्रृंखला के रूप में प्रस्तुत है जिसमें आदि से अंत तक परत-दर-परत इस रहस्य को उद्घाटित किया गया है कि किस प्रकार हमारा जीवन -हमारा भौतिक शरीर,इसका स्वास्थ्य ,जीवन के हालात,इसकी परिस्थितियाँ व परिवेश ,हमारे मन में लगातार उपजते व पल रहे विचारों के ही स्थूल स्वरूप हैं एवं अपनी विचारश्रृंखला व दृष्टिकोण में बदलाव से अपनी जिंदगी में भी अनोखा बदलाव ला सकते हैं।

मूवी को रोचक व सनसनीखेज बनाने हेतु इसकी शुरुआत ऐसे दृश्यों से है जहाँ जीवन के इस रहस्य को अतीत के प्रभावशाली व बुद्धिजीवियों द्वारा इस रहस्य को गह्वर तहखाने में सदा छुपा कर रखने व एक सामान्य मनुष्य को सदैव इससे अनभिज्ञ रखने का प्रयास करते हैं व अचानक परिस्थितिवश यह  रहस्य इस मूवी के पात्र को संयोगवश हाथ लगता है, जिससे कि उसका संपूर्ण जीवन ही बदल जाता है।

मूवी के प्रथम भाग में  इस रहस्य का उद्घाटन होता है कि पूरा ब्रहमांड आकर्षण के सिद्धांत पर कायम है,सूर्य,ग्रह,तारे,पृथ्वी,पिंड,अणु,परमाणु सभी पर (गुरुत्व)आकर्षण का नियम समान रूप से लागू होता हैं,यहाँ तक कि यह सिद्धांत हमारे जीवन में भी पूरी तरह लागू होता है।

जिस प्रकार किसी भौतिक पिंड की आकर्षण शक्ति उसके केंद्र बिंदु में स्थित होती है उसी प्रकार हमारे शरीर का केंद्रबिंदु हमारा मस्तिष्क है।हमारे मस्तिष्क में उत्पन्न होने वाले विचार के स्वभाव के अनुरूप ही हम बाहरी चीजों,परिस्थितियों व अन्य व्यक्तियों को अपने जीवन में आकर्षित करते हैं,और स्वाभाविक रूप से इसी अनुरूप हमारा पूरा जीवन निर्मित होता है,अर्थात् हमारे विचार ही हमारे जीवन का निर्माण करते हैं।

आकर्षण का सिद्धांत बड़ा वफादार होता है,जो आप सोचते हैं वही आप के साथ घटित होता है।जब आप किसी बात को आवेश के साथ सोचते हैं वह आपके साथ उतनी ही तेजी से घटित होता है।हमारे अच्छे विचार हमारे जीवन में सुख शांति प्रसन्नता व समृद्धि लाते हैं जबकि वुरे विचार दुख,अशांति,क्षोभ व अभाव लाते हैं।हमारे विचार उर्जातरंग के रूप में निरंतर उत्पन्न होकर सृष्टि की अनंत उर्जाके सानिध्य में अपने स्वभाव के अनुरूप आकर्षण उत्पन्न करते हैं व विभिन्न चीजों को हमारे जीवन में घटित करते हैं।

इस प्रकार हमारी जिंदगी हमारे मन में चल रहे विचारों से ही निर्मित है।सकारात्मक विचार नकारात्मक विचारों से सैकड़ो गुना ताकतवर होते है।इसलिये हमें अपने सोच व नजरिये में सदा ही सकारात्मक होना चाहिये।

मूवी में यह स्पष्ट किया गया है कि यह सृष्टि एक अनंत शक्ति व ऊर्जा संपन्न असीम क्षमतावान विशाल जिन्न की तरह है जो हमारी सभी ख्वाहिसों को उतनी ही  वफादारी से पूरा करती है जितना कि जिन्न अपने मालिक से कहता है कि-आपकी ख्वाहिश ही मेरे लिये हुक्म है मेरे आका।इस प्रकार आप अच्छा सोचते हैं या बुरा सोचते हैं,सकारात्मक सोचते है अथवा नकारात्मक सोचते हैं,इनमें बिना कोई विभेद किये यह सृष्टि आपके विचारों को आपकी ख्वाहिस समझ उन्हें अवश्य पूरा करती हैं।

इस प्रकार जीवन में आप जो कुछ भी चाहते है-सुख,समृद्धि,स्वास्थ्य, सफलता,चाहे जो भी, सब आपको इसी आकर्षण के सिद्धांत से यह सृष्टि आपको जीवन में अवश्य उपलब्ध कराती है।इस सिद्धांत का हम अपने जीवन में कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं इसके लिये तीन प्रमुख बातें बतायी गयी हैं- पहला सृष्टि से प्रश्न करें अर्थात् अपनी ख्वाहिसों की फेहरिस्त आप सृष्टि को ठीक-ठीक व स्पष्ट रूप से बतायें,यह बताना नितांत जरूरी है। सृष्टि को आप अपना मीनूकार्ड समझें।

दूसरा आप सृष्टि पर पूरा भरोसा करें, उसे अपनी ख्वाहिसें बताकर आप अपनी रोजमर्रा की जिंदगी सृष्टि के साथ संतुलन बैठाये जीते रहें,सृष्टि अपने तरीके से आपकी सारी ख्वाहिशें एक दिन अवश्य पूरी करेगी।

तीसरा है  प्राप्त करना यानि सृष्टि को अपनी ख्वाहिसें बताने के बाद,सृष्टि की उदारता व वफादारी के प्रति आस्था रखते हुये इस अहसास के साथ जीना शुरू कर दें कि आपकी ख्वाहिशें पूरी हो चुकी हैं। वह सब कुछ आप को पहले ही प्राप्त हो गया है जो आपने सृष्टि से माँगा है,आप परिपूर्ण हो गये हैं।
ख्वाहिशें रखने से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है उनको प्राप्त कर लेने का सिद्दत के साथ अहसास रखना क्योंकि आपका अहसास ही आकर्षण की शक्ति को प्रभावी बनाता है, आपके ख्वाहिश की चीजों को आपकी ओर आकर्षित करता है ।

सचेत यह रहना है कि सृष्टि को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपके अहसास अच्छे हैं अथवा बुरे,आपके अहसास घृणा,क्रोध,दुखपीड़ा व अवसाद के हैं या प्रेम,करुणा,प्रसन्नता व आनंद के हैं ,आपके जीवन में सृष्टि वही आकर्षित कर तोहफे में आप को देगी जैसे आपके स्वयं के अहसास हैं।अत: अपने अहसास के प्रति सदैव सचेत रहें,यदि जीवन में सुख,समृद्धि व प्रसन्नता पानी है तो आपको हमेशा इसी अहसास में जीना होगा कि आप सुखी हैं,आप समृद्ध हैं व आप निरंतर प्रसन्न हैं।

अपने मस्तिष्क की अद्भुत कल्पनाशीलता का इन्ही अहसासों को मुकम्मल बनाने में उपयोग करें,जिस सुंदर घर की आपको चाह है उस घर में आज से ही अपने कल्पनाशीलता व अहसास में रहना शुरू कर दें,जो समृद्धि,धन आपकी चाहत में है उसके अहसास में आज से ही जीना शुरू कर दें।

यह सब बातें कहनें में जितनी ही  अच्छी व आसान लगें, अच्छे अहसासों को अपना स्वभाव बनाना कोई सहज बात नहीं। किंतु कृतज्ञता भाव के निरंतर अभ्यास से सुखद अहसास में जीना कतई संभव हो जाता है।जो भी आपको जीवन में प्राप्त है,उसके हेतु इस सृष्टि,अपने माता-पिता,उन सभी लोगों के प्रति जिन्होने आपके जीवन में छोटा से छोटा या बड़ा से बड़ा योगदान अथवा खुशियाँ दी है,उन सबके प्रति कृतज्ञता का भाव रखें। अपने रिश्तों,चाहे घरपरिवार हो अथवा सामाजिक अथवा कार्यसंबंधित,सभी संबंधों में दूसरे पक्ष की अच्छाइयों व गुणों को पहचाने,उन्हें आदर दें व उनके प्रति कृतज्ञता का भाव रखें।फिर तो अच्छे अहसास में सदैव रहना आपका स्वभाव ही बन जायेगा।

मूवी के अंतिम चरण में चार विशेष बातों-समृद्धि का रहस्य,स्वास्थ्य का रहस्य,संसार का रहस्य व आपका रहस्य की चर्चा की गयी है।पूरा विवरण तो इस मूवी को देखकर ही अपने तरीके से समझा जा सकता है किंतु कुछ प्रधान बातें जो मुझे समझ में आयीं मैं यहाँ कहना चाहूँगा –
सृष्टि के उपलब्ध संसाधन असीम व अनंत हैं,उसके पास आपकी किसी भी ख्वाहिश को पूरा करने की पूरी क्षमता है,अत: उसपर पूरी आस्था रखते उससे संतुलन बनाकर रहते सब उसके हवाले कर दें, वह आपको वह सब कुछ देगी,आप को उन सब चीजों से समृद्ध बनायेगी जिनकी आप खवाहिश करते हैं।

हमारे शरीर व इसके स्वास्थ्य में भी हमारे मस्तिष्क व इसके विचारों की मुख्य भूमिका है।हमारे नकारात्मक विचार,मन में तनाव व दु:ख के अहसास के साथ जीने का स्वभाव ही हमारे शरीर में बीमारी का रूप धारण करते हैं।यदि हम मन में स्वस्थ रहने के संकल्प व सदैव अच्छे अहसास के साथ रहें तो लाइलाज ,यहाँ तक कि कैंसर ,बिमारी भी ठीक हो सकती है।इस बात के अनेकों उदाहरण इस मूवी में उद्धृत किये गये हैं।

इसी तरह संसार में भी प्राय: जो हम नहीं चाहते उसका विरोध करने लगते हैं,यह हम भूल जाते हैं कि विरोध करने में भी हमारी सारी ऊर्जा उसी चीज पर फोकस होती है जिसका हम विरोध करते हैं,इस प्रकार एक प्रकार से हम उसकी सहायता ही करते हैं,जितना विरोघ करते हैं वह उतना ही बढता है।ङमें विरोध के बजाय उस पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये जो हम चाहते हैं,युद्ध नहीं चहते तो इसका विरोध करने के बजाय शांति का पक्ष व पहल करें।हमें ध्यान रहे हम दुनिया बदलने के लिये नहीं बल्कि सृष्टि के बहाव के साथ बहते हुये इसकी प्रसन्नता,रचनात्मकता का आनंद लें,खुश रहें।

अंतिम बात स्वयं का रहस्य जानने के आशय से यह है कि हम मात्र एक शरीर के परे वस्तुतः एक ऊर्जापिंड हैं व इस प्रकार इस सृष्टि व इसकी अनंत ऊर्जा के हिस्से हैं।हम सभी एक दूसरे से ऊर्जा के स्तर पर जुड़े हुये हैं,हम सभी एक हैं।सृष्टि में सबकुछ ऊर्जा है।दुनिया ऊर्जा से बनी है-चाहे क्वांटम फिजिक्स के सिद्धांत से अथवा आध्यात्मिक।सृष्टि में सब आपस में जुड़े है,हम सब अनंत शक्ति हैं होने वाली संभावनाओं के।

ऊर्जा अंदर से ही आती है।आपका चुनाव क्या है आपका बुरा अतीत अथवा आपके सुनहरे भविष्य का अहसास।आप अपनी जिंदगी के शिल्पकार,आप ही लेखक हैृ,कलम आपके हाथ हैं।जहाँ हैं वहीं से शुरू कर सकते हैं,आकर्षण का सिद्धांत काम करना शुरू कर देता है।आपके हर नहीं को आपने बनाया है।हमारी सीमायें असीम हैं।आपके जीवन का उद्देश्य आप स्वयं बनाते हैं,जो आप स्वयं तय करते हैं, कोई दूसरा आपके ऊपर नहीं थोप सकता।

जिसको करनें में खुशी मिले वही करिये। मन की खुशी ईधन है आपकी कामयाबी का।अपने आनंद का अनुसरण करिये व सृष्टि आपके लिये सारे दरवाजे खोल देगी।अपने उत्साह दीवानगी के पीछे जाइये।जिंदगी बेमिसाल हे,गजब का सफर है।भविष्य अपार संभावनों का है। हम अभी तक मष्तिस्क का केवल 5%ही उपयोग करते हैं कल्पना करें यदि आप इसका 100% उपयोग करे तो क्या नहीं संभव है।

आपका नृत्य कोई और नहीं, आपको करना है, आपका गीत कोई और नहीं आपको स्वयं गाना है, आपकी कहानी कोई और नहीं आप को स्वयं लिखनी है । आप कौन है और  क्या हैं और क्या होना चाहते हैं इसका फैसला आपको करना है।

5 comments:

  1. आपने सही कहा,,,

    जिसको करनें में खुशी मिले वही करिये। मन की खुशी ईधन है आपकी कामयाबी का।अपने आनंद का अनुसरण करिये व सृष्टि आपके लिये सारे दरवाजे खोल देगी।,,,,प्रभावी पोस्ट,

    recent post : प्यार न भूले,,,

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  2. विचारों का विश्व होता है, आकर्षण और विकर्षण पहले वहाँ नियत हो जाते हैं।

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  3. बहुत सारगर्भित आलेख...The Secret वास्तव में एक अद्भुत अनुभव है...

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  4. सारगर्भित आलेख है। सच है कि हम जैसा सोचते हैं वैसा ही धीरे-धीरे होने लगते हैं वैसा ही मिलता है। बस इसमें इतना है कि हमारे कर्म हमारे सोच के अनुकूल हों। हमारी कथनी और करनी में फर्क न हो।

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  5. पेशा भी हमारी सोच को प्रभावित करता है। एक अंकेक्षक, एक व्यंग्यकार नकारात्मक सोच रखता है। लेकिन अंततः उसका उद्देश्य सकारात्मक ही होता है। वह अपने व्यंग्य के माध्यम से समाज सुधार की सोचता है। ईश्वर उसका भी भला करे।

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