Sunday, January 17, 2021

बिडंबना : अपनी जूती अपने ही सर।

विडंबना यह है कि प्रायः हम खुद को ज्यादा इंटेलेक्चुअल दिखाने के लिए अपने देश, इसकी सामाजिक व्यवस्था, इसके रीति-रिवाज संस्कृति परंपरा, इसकी राजनीतिक तंत्र और सरकारी तंत्र एवं व्यवस्था, का हर छोटी-बड़ी बात पर मजाक और उपहास करते हैं।हममें अपने इस इस गहरी हीनभावना की वजह  हमारे देश की शिक्षा दीक्षा की व्यवस्था, संस्थानों में बामपंथी विचारधारा की गहरी पैठ एवं इस पूरे सिस्टम पर उनके मजबूत चंगुल की वजह से रहा है। और दुर्भाग्य से यही हीनभावना का संस्कार हम अपने बच्चों में भी जाने-अनजाने में पालते-बढ़ाते हैं।  हमें इस सच्चाई का अहसास किसी वक्त यदि हो भी जाता है तो तबतक बहुत देर हो चुकी होती है, बच्चों को उनकी सोच की गलती को बताया भी तो वह उल्टा पड़ता है और वह विद्रोह करते हैं। इसलिए समय पर ही हमें स्वयं के संस्कार, एवं अपने बच्चों के संस्कार में इस नकली और दिखावटी इंटेलेक्चुअलपने से विलग, अपने देश, समाज, भाषा, संस्कृति, आचार-विचार, राजनीतिक एवं संवैधानिक व्यवस्थाओं के प्रति जागरूक, सम्मानजनक एवं जिम्मेदारीपूर्ण बनाना सुनिश्चित करना चाहिए।

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