राग है या द्वेष है?
लोभ है या मोह है?
है ये मद कि मात्सर्य है?
धर्म है कि अर्थ है यह?
काम है वा मोक्ष है?
कौन है यह?
अपरिचितो सा,
प्रविष्ट करता मन महल में,
प्रत्यंचा के तीर जैसा,
द्रुत पवन के वेग जैसा,
आधिपत्य संपूर्ण करता,
मष्तिस्क और विवेक पर।
हो रहे क्यों उन पलों में
चिन्तनों के हर पटल,
शान्त,मौन व निर्वाद,
असहाय और कुंठित,
संस्कार होते सब पराजित,
थके,स्तब्ध व प्रभावित,
उन पलों में।
कौन है यह?
सअहं अतिकार करता ,
चेतना जो शून्य करता,
यह एक क्षण का उन्माद!
कौन है यह?सअहं अतिकार करता ,चेतना जो शून्य करता,यह एक क्षण का उन्माद!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति.
बहुत बहुत आभार देवेन्द्र जी.
कौन है यह?
ReplyDeleteसअहं अतिकार करता ,
चेतना जो शून्य करता,
यह एक क्षण का उन्माद!
उन्माद के कारणों की विवेचना.
भावनाओ की कोमल अभिव्यक्ति. बहुत सुंदर.
क्षण का उन्माद क्षण ही जाने या जाने वह जिन्हे निष्कर्ष झेलने पड़ते हैं।
ReplyDeleteek acchi rachna .....
ReplyDeleteस्वयं की खोज के लिए स्वयं के प्रति सच्चा बनना पड़ेगा।
ReplyDeleteकौन है यह?
ReplyDeleteसअहं अतिकार करता ,
चेतना जो शून्य करता,
यह एक क्षण का उन्माद!....
बहुत सुन्दर अंदाज़ में प्रस्तुत किया है आपने । सटीक अभिव्यक्ति ।
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एक क्षण का उन्माद एक अलग उन्माद भर गया ..बहुत अच्छी लगी ..ह्रदय से आभार..
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार देवेन्द्र जी. उन्माद के कारणों की विवेचना
ReplyDeleteकरती कोमल अभिव्यक्ति... बहुत सुंदर.....
क्षण का उन्माद एक शक्ति है जिसका सार्थक व खतरनाक परिणाम दोनों हो सकता है....निर्भर करता है की उन्माद किन परिस्थितियों में पैदा हुआ है और उसे हम कैसे प्रयोग करते हैं.....
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