Friday, December 28, 2012

कैलोरी की बैलेंससीट....

कैलोरी की संतुलित  तुला

अपनी पिछली पोस्ट कुछ डिप्रेसिंग कुछ इंस्पायरिंग में मैंने इस अवसान हो रहे वर्ष में अपने शारीरिक वजन कम करने  संतुलित शारीरिक फिटनेस के निर्धारित लक्ष्य में अपनी विफलता की चर्चा की थी।इसी सिलसिले में मैं  अपने रेलवे के सहकर्मी डाक्टर महोदय से चर्चा करते हुये अपने मन की निराशा प्रकट की कि डाक्टर साहब आप जानते ही हैं कि मैं शाकाहारी हूँ,बाहर का खाना भी नहीं खाता,मेरा खानपान भी बहुत साधारण है,यहाँ तक चाय भी ज्यादातर बिना दूध शक्कर के पीता हूँ,फिर भी वजन नहीं घटता,घटना तो दूर हर साल किलो दो किलो बढ़ता ही जा रहा है।

डाक्टर साहब ने मेरी बात धैर्य से सुनते मुस्कराते हुये मुझसे पूछा कि क्या आप नियमित मार्निंग वाक अथवा अन्य फीजिकल इक्सरसाइज इत्यादि करते हैं, तो मैंने सकुचाते हुये नहीं कहा तो डाक्टर साहब ने बताया कि आपका शारीरिक वजन घट पाने प्रतिवर्ष बढ़ते जाने का यही कारण है,आपकी सिडैंटरी(श्रमरहित) दिनचर्या ।

डाक्टर साहब मेरे चेहरे पर दिखते भ्रम के भाव को भाँपते हुये व अपनी बात को और स्पष्ट करते हुये कहा कि देखिये मात्र अपनी डाइट संतुलित कर लेने,शाकाहारी होने,घी तेल कम सेवन करने इत्यादि से आपको स्वास्थ्य संबंधित कई लाभ  जैसे कोलेस्ट्राल का संतुलित स्तर उसकी गुणवत्ता,विभिन्न बीमारियों से प्रतिरोधक क्षमता जैसे फायदे अवश्य होते हैं, किंतु जहाँ तक आपके शारीरिक वजन का ताल्लुक है,तो यह तो सीधे सीधे आपके भोजन खानपान से शरीर को मिलने वाली कैलोरी से संबंधित है।

डाक्टर साहब ने कहा कि शरीर में कैलोरी का सिद्धांत एक शुद्ध अंकगणित पर आधारित है कि आपके दिनभर के खानपान आहार से शरीर को कुल कितनी कैलोरी प्राप्त हुई बदले में आपकी विभिन्न शारीरिक गतिविधियों व क्रियाशीलता में कितनी कैलोरी खपत हुई, और इस प्रकार शरीर में बची अनुपयोग में लायी गयी कैलोरी ही शारीरिक वजन को बढ़ाती रहती है।आप कितना भी साधारण खानपान भोजन लेते हों फिर भी औसतन 1500 से 2000 कैलोरी प्रतिदिन शरीर को मिलती ही है, ऐसे में भी यदि आपकी दिनचर्या सिडैंटरी है,यानि बस आप खाते पीते उठते बैठते सोते हैं,कोई शारीरिक श्रम करते ही नहीं, तो शरीर में औसतन चार सौ से पाँच सौ कैलोरी अनुपयोगी बची रहती है यही लगातार संचय होकर आपका शारीरिक वजन बढ़ाती रहती है।और ध्यान रखिये जहाँ तक कैलोरी की बात है कैलोरी तो कैलोरी है,इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप साधारण चावल दाल या रोटी लेते हैं या दूध,दही या चीनी अथवा कि अन्य मांसाहारी भोजन।

डाक्टर साहब अपनी बात पर जोर देते हुये व यह नसीहत देते हुये  कहा कि यह बात साफ और सीधे तौर पर समझ लीजिये कि अगर आपको अपना शारीरिक वजन घटाना है अथवा वजन बढ़ने से रोकना है तो नियमित मार्निंग वाक,जॉगिंग अन्य फिजिकल इक्सरसाइज द्वारा शरीर में बचने वाली अनावश्यक कैलोरी को जलाना,उसकी खपत करना होगा ताकि इसका शरीर में संचयन बंद हो और तभी शरीर का वजन नियंत्रित होगा।

डाक्टर साहब की बात बड़ी सीधी स्पष्ट तो थी,पहले भी डाइटिसियंस अन्य डाक्रों ने मेरे स्वास्थ्यपरीक्षण के उपरांत इसी प्रकार की ही सलाह दी थी,परंतु इन उचित सलाहों को अमल में लाने में अभी तक तो मैं नाकारा ही सिद्ध हुआ हूँ,इसलिये डाक्टर साहब से  इस दिशा में  अपने मन के निराशाभाव को अभिव्यक्त करते हुये बोला कि लेकिन डाक्टर साहब मैं अपने कई मित्रों परिचितों को देखता हूँ जिनका खान-पान दिनचर्या एकदम बिंदास है,उन्हें कभी खास शारीरिक व्यायाम अथवा श्रम करते भी नहीं देखता परंतु उनका शारीरिक वजन नहीं बढ़ता,वहीं कुछ ऐसे हैं,जिनमें मैं भी शामिल हूँ,जो बड़ा नियंत्रित खानपान रखते हैं परंतु वजन नियंत्रण से बाहर हो गया है, कहीं यह जेनेटिक या अन्य समस्या तो नहीं।

डाक्टरसाहब ने मेरी बात पर हँसते हुये मुझे पुनसमझाया कि अवश्य कुछ हद तक शारीरिक वजन के ज्यादा व कम होने के आनुवंशिक कारण भी होते हैं,क्योंकि शारीरिक ऊर्जा(कैलोरी) की खपत  शरीर की मेटाबोलिज्म द्वारा निर्धारित होती है जो आनुवंशिक कारणों से विभिन्न मनुष्यों में अलग-अलग होती है।साथ ही साथ कई बार शरीर में कुछ  हार्मोन्स की असामान्य मात्रा, कुछ विशेष दवाइयाँ जैसे स्टेरोयड , अवसाद-निरोधक इत्यादि के कारण भी व्यक्ति का शारीरिक वजन अप्रत्यासित बढ़ सकता है,किंतु अपनी कैलोरी वाले मंत्र  को दुहराते हुये उन्होंने मुझे पुन: नसीहत देते हुये कहा कि अंतत: तो शारीरिक वजन का नियंत्रण,इसका घटना बढ़ना अथवा मेंटेन रहना,इसी बात पर ही निर्भर करता है कि शरीर में नेट कैलोरी(शरीर द्वारा प्राप्त कैलोरी-शरीर के द्वारा खर्च कैलोरी) की मात्रा,कम ज्यादा अथवा बराबर है।

डाक्टर साहब ने इसके साथ कई महत्वपूर्ण बातें बतायीं कि शरीर में लगभग चार हजार अतिरिक्त कैलोरी बचे होने पर शरीर का वजन एक पौंड तक बढ़ सकता है,इस प्रकार अति सामान्य खानपान होने पर भी, जिसके द्वारा शरीर को 1500 से 2000 कैलोरी  तक ऊर्जा प्रतिदिन प्राप्त हो जाती है,और यदि आप शारीरिक श्रम नहीं करते या आपकी शारीरिक सक्रियता कम है तो,आपके शरीर में चार सौ से पाँच सौ कैलोरी तक ऊर्जा प्रतिदिन बच जाती है जो महीने भर में इकट्ठी होकर दस हजार कैलोरी तक हो जाती है,जिससे शारीरिक वजन एक से सवा किलो तक बढ़ सकता है,इसी प्रकार यदि आपको एक किलो वजन घटाने हेतु अपने शरीर की कम से कम आठ से दस हजार कैलोरी शारीरिक श्रम द्वारा खर्च करनी ही होगी।

मुझे डॉक्टर साहब द्वारा यह कैलोरी के आमद और खर्च का हिसाब-किताब और इसकी जटिलता कुछ इसी प्रकार अनुभव हो रही थी जैसा कि प्रबंधन की पढ़ाई में एकाउंटेंसी व फाइनेंस की क्लास में प्रोफेसर द्वारा कंपनी के बैलेंस सीट का घनचक्कर ।फिर भी डाक्टर साहब की बात बहुत ही तर्क संगत व सटीक अनुभव हो रही थी।

डाक्टर साहब ने आगे बताया कि यदि आप अपना वजन नियंत्रित भर करना चाहते हैं कि और बढ़े तो भी आपको साप्ताहिक कम से कम 150 मिनट की ब्रिस्क मार्निंग वाक अथवा 75 मिनट की एरोबिक इक्सरसाइज(जॉगिंग,डान्स इत्यादि) और साथ ही साथ लगभग 60 मिनट की मैस्कुलर इक्सरसाइज(वेटलिफ्टिंग,सिटअप,लानटेनिस या कोई अन्य आउटडोर गेम, पुशअप अथवा योगासन इत्यादि) करना अनिवार्य है, और यदि आप अपना वजन एककिलो प्रतिमाह तक घटाना चाहते है तो उपरोक्त से तकरीबन दुगुना यानि साप्ताहिक 300 मिनट का ब्रिस्कपेस मार्निंग वाक 120 मिनट का मैस्कुलर इक्सरसाइज नियम से करना होगा।

डाक्टर साहब  अपनी इस नसीहत से मुझे सहमा देखकर बोले कि यह कोई असंभव सा कार्य तो नहीं,इसको आप अपनी दिनचर्या में शामिल कर इसे काफी सहज व संभव बना सकते हैं, जैसे प्रतिदिन सुबह एक घंटे,अथवा सुबह शाम आधा-आधा घंटे की ब्रिस्कपेस वाकिंग और सप्ताह में दो या तीन दिन आधा घंटे का योगाभ्यास करके भी आप अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं।

डाक्टर साहब की बात बड़ी सटीक सार्थक लग रही थी,किंतु मन ही मन स्वयं के संकल्पशक्ति नियमित मार्निंग वाक इक्सरसाइज को जारी रख पाने के आत्मविश्वास पर संदेह हो रहा थाविगत का जो अनुभव रहा है,उसमें मार्निंग वाक योगा शुरू करने व इसके कुछ दिन तक कायम रहने का तो सिलसिला चलता है,परंतु कुछ दिनों बाद ही इस या उस बहाने व्यवधान जाता है, फिर से वहीं सिडैंटरी लाइफ शुरू हो जाती है।

विगत एक हफ्ते से तो मैं  एक घंटे की  मार्निंग वाक कुछ योगा भी कर रहा हूँ,जिससे बड़ा ही आनंद रहा है,किंतु रोज सुबह-सुबह उठने व मार्निंग वाक पर जाने हेतु इस आलसी मन व स्वभाव से पूरी जद्दोजहद करनी पड़ रही है।बात तो तब बने जब यह सुबह की सैर मेरे मन के स्वभाव दिनचर्या में अनिवार्य स्थाई रूप से शामिल हो जाये।आप सबकी शुभकामना की सहायता से ऐसी ही आशा कर सकता हूँ।

2 comments:

  1. Very informative post. Thanks. Good Luck and good wishes for the success of your resolve.

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  2. यही अंकगणित तो समझ नहीं आता है, मन को। उसे तो बस बैठ कर खाना और लिखना भाता है।

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