टीचर- पप्पू ! योग और चंट योग में क्या अंतर होता है ?
पप्पू - मैडम ! योग शारीरीक व्यायाम , व प्राणायम ( श्वास- प्रश्वास) की एक उत्तम विधि है । योग करते समय सीजन के अनुरूप सरल और ढीला वस्त्र धारण करना होता है । यह तन और मन की एक उच्च साधना है जिसमें यम-नियम ,आहार विहार और आचार-विचार का पालन करना होता है , जिससे व्यक्ति का मस्तिष्क व शरीर स्वस्थ और मजबूत होता है ,किसी प्रकार के अवसाद व विभिन्न शारीरिक व मानसिक बिमारियों से मुक्ति मिलती है ।
इसके विपरीत चंट योग मन . चेहरे व शरीर के अभिनय व भावभंगिमा की वह विधि है जिसे व्यक्ति को मौन धारण करने या बोलते समय खाँसने के नियम का पालन करना होता है , कभी सिर पर पगड़ी तो कभी टोपी और मफलर धारण करना होता है , कभी अनसन, कभी धरना तो कभी सड़क पर मोर्चा निकालता पड़ता है , मौके के मुताबिक व्यक्ति को झूठ , पाखंड , दूसरों की निंदा व छिद्रान्वेषण , अपने बड़े से बड़े घटिया काम को महान सिद्ध करने की कला और चतुरता दिखानी होती है । इस योग से व्यक्ति को सत्तालाभ , ऊँचे सिंहासन पर बैठने का लाभ मिलता है । मैडम ! शास्त्रों के मत से वर्तमान कलयुग में 'चंट'योग बड़ा ही प्रभावकारी व उपयोगी है और जीवन में सफल होने हेतु एक सिद्ध व उत्तम योग विधि के रूप में जाना जाता है । संयोगवश यह दोनों ही योग विधियों का जनक हमारा महान देश भारत ही है , जहाँ इन्हें हमारे कई महान ॠषियों , मुनियों व योगियों ने इनको इजाद व विकसित किया ।
टीचर- उन प्रसिद्ध ॠषियों व योगियों के नाम बताओ जिन्होंन इन महान योग व चंटयोग विधियों का ईजाद किया और इनके विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया?
पप्पू - क्या मैडम ! आप तो बड़ी चंट हैं । सब जानते हुये भी उन महान लोगों का नाम मेरे ही मुँह से सुनना से चाहती हैं ?
टीचर- ( अचकचाते हुये )अच्छा बैठ जाओ ।
( और पप्पू अपने सीट पर बैठ जाता है और अपना कान खुजाते यह गणित लगाने लगता है कि टीचर का अगला प्रश्न क्या होगा । )
अगले प्रश्न का इंतजार करें । ..........
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