Sunday, July 7, 2013

विजेता की गरिमा


मेरियन बारटोली , विंबल्डन महिला चैंपियन 2013


कल शाम लंदन में विंबल्डन के सेंट्रल टेनिस कोर्ट में विंबल्डन  चैम्पियनशिप के  फाइनल मैच में अट्ठाईस वर्षीय फ्रांसीसी महिला टेनिस खिलाड़ी  मेरियन बारतोली ने महिला टेनिस जगत की उदीयमान सितारा, अति प्रतिभाशाली  तेईस वर्षीय जर्मन महिला टेनिस खिलाड़ी सेबियन लिसिकी को हराकर इस चैम्पियनशिप का ऐतिहासिक खिताब अर्जित किया ।

मेरियन बारतोली छः साल पहले सन् 2007 में  भी  विंबल्डन के फाइनलमें पहुँची थीं मगर अपने अंतिम  मुकाबले में अमेरिकी चैम्पियन खिलाड़ी वीनस विलियम्स से पराजित हो गयीं थीं ।फिर विगत छः वर्षों में टेनिस कोर्ट से बाहर अपने निजी जिंदगी में अनेकों उथलपुथल, अपने पिता जो उनके जीवन के प्रेरणा श्रोत,उनके गुरु व कोच भी रहे है, उनसे विलगाव जैसी कठिनाई से साहसिक मुकाबला करते स्वयं को आत्मप्रेरित कर पुनः विंबल्डन चैम्पियनशिप जैसी प्रतियोगिता के फाइनल में पहुँचना, अपने प्रतिद्वंद्वी हेतु दर्शकों के जबर्दस्त समर्थन  व अपने विपक्ष में दर्शकों की जोरदार हूटिंग, जैसी कठिन विपरीत परिस्थितियों में भी  अपन संयम बनाये रख फाइनल मैच और प्रतियोगिता को जीतना , उनके उच्च कोटि की मानसिकता व जीत के प्रति अदम्य दृढ़ शक्ति का परिचायक है ।

       
जीत का जश्न परंतु मर्यादित
(चित्र- टाइम्स ऑफ इंडिया के सौजन्य से।)
                                                                                         


किंतु उनके महान व्यक्तित्व व महान खिलाड़ी होने का  इससे भी महत्वपूर्ण पक्ष है उनका अपनी  विजय   के उपरांत भी अपने पराजित प्रतिद्वंदी की काबिलियत के प्रति हार्दिक सम्मान व अपनी ऐतिहासिक जीत के जश्न के क्षणों में भी उनका अति संयमित व गरिमा मय व्यवहार। पुरस्कार वितरण के पश्चात उनका अपने प्रतिद्वंद्वी के प्रति हार्दिक सम्मान देता यह कथन- " I know how it feels Sabine, but you will be back, I know, because  you deserve it. अर्थात् सेबिन मैं आपकी भावनाओं को समझ सकती हूँ, परंतु आप पुनः एक विजेता के रूप में वापसी करेंगी यह मुझे पूरा विश्वास है,क्योंकि आप विजेता होने की योग्यता रखती हैं।" मेरियन बारतोली के जन्मजात कुलीन   फ्रांसीसी  संस्कृति व परंपरा के अनुरूप ही व  अति गरिमामय लगा। 

प्रायः यह देखा जाता है कि विजेता अपनी जीत के उन्माद में उनसे अपेक्षित स्वाभाविक गरिमा व मर्यादा को भूलकर अपने पराजित प्रतिद्वंद्वी को रास्ते की धूल समझ कर उसके काबिलियत को उचित सम्मान देने से चूक जाते हैं और विजय उपरांत आत्म प्रशस्ति व श्लाघा में व्यस्त हो जाते हैं , विशेष कर ऐसे विजेता जिन्हें उनकी प्रतिभा व भाग्यवश जीत सहज ही प्राप्त हुई हो और जिन्होंने संघर्ष की पथरीली राह की कठिनाई को नहीं झेला है ।परंतु बारतोली जैसे खिलाड़ी जिन्होंने जीवन के संघर्ष व ऊँच-नीच को स्वयं जिया, अनुभव किया है, बारतोली का यह सैंतालीसवा ग्रैंडस्लैम मैच था व खेलजीवन के इतने लंबे संघर्ष के उपरांत विंबल्डन प्रतियोगिता जीतने वाली वे प्रथम महिला खिलाड़ी हैं,  उनके व्यक्तित्व में इस प्रकार की गरिमा वह शालीनता स्वाभाविक व अपेक्षित है ।

यह सच है, सफलता की मंजिल तक पहुँचने का  मार्ग व इसकी यात्रा निश्चय ही अति     चुनौतपूर्ण व व्यक्ति के संपूर्ण व्यक्तित्व  - उसके चरित्र, आत्म शक्ति व मन की दृढ़ता की कठिन परीक्षा होती है, परंतु राह की यह कठिनाइयां ही व्यक्ति के अंदर  आत्मचिंतन व परिस्थितियों के प्रति आदर का भाव उत्पन्न करती हैं, जिनसे व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास व जीत हेतु दृढ़ संकल्प के साथ-साथ अपने विपक्षी की काबिलियत के प्रति हार्दिक सम्मान व जीत में भी गरिमा व शालीनता जैसे गुण स्वाभाविक रूप से आत्मसात हो जाते हैं ।
विजय में गरिमा मय

मेरियन बारतोली को उनकी इस ऐतिहासिक विजय पर हार्दिक बधाई व उनके अपने ऐतिहासिक जीत के उपरांत अति गरिमा मयी आचरण हेतु  हार्दिक सम्मान ।

4 comments:

  1. व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास व जीत हेतु दृढ़ संकल्प के साथ-साथ अपने विपक्षी की काबिलियत के प्रति हार्दिक सम्मान व जीत में भी गरिमा व शालीनता जैसे गुण स्वाभाविक रूप से आत्मसात हो जाते हैं ।RECENT POST: गुजारिश,

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  2. प्रेरणादायी एव अनुकरणीय

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  3. सच कहा आपने, विजय में भी गरिमा बनी रहे, इससे प्रेरक और क्या उदाहरण हो सकते हैं।

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  4. बेहतरीन प्रस्तुति।। प्रेरक एवं जीवन में अपनाने लायक...

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