विगत विचारों की वन वीथि , उनमें भटका मन खोया सा |
बीती बातें बीत चुकी हैं , उनको लेकर क्या सिर धुनना ।
मन माला जो टूटी बिखरी, चुनकर दाने पुनः पिरोना ।१।
सुस्ता लो पर रुको नहीं तुम , चलते रहना ही जीवन है ।
तेज समय की गति आज मुश्किल जो है वह कल आसाँ है।२।
उदित हुआ जो अस्त हुआ है, दुनिया है बस आना जाना ।
एक प्रेम स्थाई रहता , बाकी तो बस पाना खोना ।३|
सारे सुख हैं अपने भीतर , बाहर से दुःख पर क्या रोना ।
जब है अपना हृदय समागम,क्या कहना और क्या है सुनना।४|
कुछ बातें दिल को चुभ जातीं मन को भारी ठेस पहुँचती ।
वक़्त लगाता मरहम इनपर, बीती बात कहानी बनती ।५|
आप करो जो कर सकते हो, होना जो है कहाँ टला है !
हो मनमाफिक बहुत भला है, ना-मन-माफिक और भला है ।६|
बिल्कुल सही कहा आपने.
ReplyDeleteरामराम.
हर पल एक नया प्रारम्भ, उस दिशा, जहाँ सब सुखद हो। सुन्दर और आशापूर्ण रचना।
ReplyDeleteSir, Bahut sundar rachna , badhai
ReplyDeleteबहुत सही और सच्ची बातें ....
ReplyDeleteसत्या एवं सार्थक ....बहुत सुंदर ....!!
ReplyDeleteआशा का भाव जागते विचार....
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