Monday, September 16, 2013

इच्छाशक्ति की भी इच्छाशक्ति आवश्यक है !


इच्छाशक्ति से खुलते हैं असंभव व अदृश्य दरवाजे 

मेरे एक घनिष्ठ मित्र हैं, उनका आवास मेरे आवास के नजदीकी लोकेलिटी में ही है,अतः प्रायः सप्ताहांत पर हमारा पारस्परिक मिलना जुलना होता है व हमारी पारिवारिक आत्मीयता हो गई है ।

कल शाम वे सपत्नीक मेरे घर पधारे ।बातचीत के ही सिलसिले में उन्होंने एक बड़ी महत्वपूर्ण बात कही कि व्यक्ति के अंदर इच्छाशक्ति हो तो उसके द्वारा अपने जीवन में कोई भी कार्य व उपलब्धि संभव है , वैसे भी मेरी लापरवाह जीवनशैली, नियमित व्यायाम, खेल कूद का अभाव व शारीरिक वजन औसत से अधिक होने, अपना सप्ताह की छुट्टी में भी कहीं बाहर, मंदिर इत्यादि घूमने न जाने और बस मोबाइल से चिपके रहने व बस कुछ कुछ लिखते पढ़ते रहने की आलसी आदत, पर वे मुझे प्रायः उलाहना देते व अपनी आउटडुर एक्टिविटी बढ़ाने की नसीहत देते रहते हैं ।ऐसा नहीं कि वे मात्र जुबानी नसीहत बाज हैं, बल्कि वे स्वयं जीवन में बड़े अनुशासित, नियमित डाइटिंग, खेलकूद व्यायाम, आउट डोर गतिविधि में काफी सक्रिय रहते हैं, परिणाम स्वरूप हमारे हमउम्र होने के बावजूद उनका शारीरिक वजन बिल्कुल नहीं बढ़ा है व बिल्कुल संतुलित व फिट हैं । 

उनकी यह मित्रवत सलाह मुझे नितांत प्रभावी व अच्छी तो लगती है परंतु दुर्भाग्य से मैं उनकी सलाह को निजी जीवन में व्यवहार में ला नहीं पाया, उनकी इतनी अच्छी सलाह उनके कहने व मेरे मात्र सुनने तक ही सीमित रह जाती है और मेरे जीवन व मेरी दिनचर्या की आदतें यथास्थिति ही चल रही हैं ।

वैसे देखें तो उनकी यह इच्छाशक्ति वाली सीख तो सौ प्रतिशत सत्य और सिद्ध तथ्य है ।मेरे मित्र का स्वयं का जीवन भी इस सत्य कथन का सजीव उदाहरण है, उन्हीं के अनुसार अपने स्कूली जीवन में वे एक अति साधारण छात्र थे, उन्हें गणित विषय से अत्यंत भय लगता था, फिर अपने पिता जी की प्रेरणा व मार्ग दर्शन द्वारा व अपने कठिन परिश्रम से वे अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी कर, इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी सफलतापूर्वक पूरी कर सके।नौकरी मिलने में शुरुआती अड़चनों व संघर्ष,नौकरी न मिलने के कारण निजी उद्यम व व्यवसाय शुरू करने व इसमें भी काफी संघर्ष व संतोषजनक सफलता न हासिल होने, का धैर्य पूर्वक सामना कर अंततः अपने एक मित्र की सलाह पर कम्प्यूटर क्षेत्र में अतिरिक्त व्यावसायिक प्रशिक्षण से अपने को और काबिल व योग्य बनाकर एक महत्वपूर्ण कम्प्यूटर कंपनी में नौकरी हासिल की । फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा, वे देश विदेश की कई महत्वपूर्ण कंपनियों में कार्य किये, कई वर्ष विदेश यूरोप, अमरीका व आस्ट्रेलिया के प्रमुख शहरों में रहे, कुछ वर्ष विप्रो जैसी महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर कंपनी में भी महत्वपूर्ण पद पर रहे व वर्तमान में आई बी एम जैसी महत्वपूर्ण कंपनी में एक उच्च प्रबंधन पद पर कार्यरत हैं ।उनका बंगलौर के अति कुलीन एरिया व अपॉर्टमेंट में निजी फ्लैट है, बड़ी और मँहगी सी कार है, ईश्वर की कृपा से पारिवारिक जीवन भी अति सुखमय व संपूर्ण है, पत्नी जी अति सुशिक्षित व सुघड़ गृहिणी हैं, एक पुत्री व एक पुत्र हैं जो बड़े होनहार बच्चे हैं ।माताजी भी साथ रहती हैं, बस दुर्भाग्य से कुछ समय पूर्व पिताजी का देहावसान हो गया ।

इस प्रकार मेरे मित्र निःसंदेह एक अति सफल व चहुँ मुखी रूप से परिपूर्ण जीवन के स्वामी हैं ।और निश्चय ही, जैसा कि उनका बातचीत के दौरान कथन था, यह उनकी इच्छाशक्ति व जीवन में अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ संकल्प का ही सुपरिणाम है ।

वैसे भी देखें तो यह कथन यथासिद्ध है कि आज तक संसार में महान से महान पुरुषों द्वारा जितनी महान उपलब्धियां हुई हैं उसमें दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रमुख योगदान रहा है, चाहे वह विज्ञान व तकनीकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण अनुसंधान व खोज हो, चाहे किसी उत्पाद,कंपनी या व्यवसाय की व्यावसायिक व आर्थिक सफलता हो, चाहे प्रशासनिक, राजनैतिक व सामाजिक नेतृत्व व क्रांति की सफलता के उदाहरण रहें हो, यहाँ तक कि ऐतिहासिक रूप से प्रसिद्ध व सफल माने जाने वाले विश्व विजय व सामरिक अभियानों में भी उनके नेतृत्व की दृढ़ इच्छाशक्ति का स्थान प्रमुख है ।

परंतु निश्चय ही अपने उद्देश्य व लक्ष्य के प्रति दृढ़ इच्छाशक्ति युक्त यह महान पुरूष विरले व अपवाद स्वरूप ही होते हैं ।इसी प्रकार हमारे जैसे साधारण मनुष्यों में भी मेरे मित्र जैसी दृढ़ इच्छाशक्ति के व्यक्ति भी विरले व अपवाद स्वरूप ही होते हैं ।अन्यथा तो साधारण व्यक्तियों के जीवन की समीक्षा करें तो पायेंगे कि दृढ़ इच्छाशक्ति की बात कहना जितना आसान है, उसका अनुपालन साधारण व्यक्तियों द्वारा अपने जीवन व अपने उद्देश्य के प्रति उतना सहज नहीं ।

सिर्फ किसी उद्देश्य व लक्ष्य को सोचने, चाहने अथवा उसकी चर्चा करने एवं इसके विपरीत उसे दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ सफलता पूर्वक प्राप्त करने व उसे व्यवहार में लाने में एक साधारण मनुष्य हेतु जमीन आसमान का अंतर होता है ।यही कारण है कि मेरे जैसे साधारण व्यक्ति अपनी परिस्थिति के अधीन ही जीवन जीते रहते हैं, उसमें अपनी इच्छा व ख्वाहिस के अनुरूप परिवर्तन लाने में असमर्थ होते हैं, और यथास्थिति में ही सारा जीवन काट देते हैं।शायद यही कारण यानि इच्छा शक्ति की कमी ही है कि मैं चाह कर भी नियमित व्यायाम करने, अपने खानपान पर और संयम रखने, अपना शारीरिक वजन कम कर सकने , फेसबुक पर या इधर उधर की पुस्तक पढ़ने में समय नष्ट करने के बजाय अपने घर व परिवार के साथ ज्यादा गुणात्मक समय, जैसे बच्चों की पढ़ाई में सहायता जैसे महत्वपूर्ण कार्य में , बिताने में असमर्थ रहता हूँ, चाहकर भी अपनी दिनचर्या में परिवर्तन लाने व ज्यादा संतुलित व होलिस्टिक रहनसहन व खानपान अपनाने में स्वयं को अभी तक सक्षम व आत्मबल युक्त नहीं पाया हूँ ।

इस प्रकार देखें तो प्रायः साधारण व्यक्ति अपनी कमजोर इच्छाशक्ति के कारण अपने जीवन व वर्तमान परिस्थिति में सार्थक बदलाव नहीं ला पाते व प्रायः अपनी इस कमजोरी पर आवरण रखते अपनी परिस्थिति को अपनी नियति समझते उसे स्वीकार व उससे समझौता कर लेते हैं ।

सच कहें तो साधारण इच्छाशक्ति वाले व्यक्ति अपनी इच्छाशक्ति को जागृत अथवा इसके महत्व को ही समझने में असमर्थ होते हैं ।इस प्रकार कह सकते हैं कि मेरे जैसे साधारण या कमजोर इच्छाशक्ति वाले व्यक्तियों के अंदर अपने उद्देश्य व लक्ष्य के प्रति इच्छाशक्ति को दृढ़ व मजबूत करने हेतु एवं इसके महत्व को अंतर्चेतन में स्थापित करने हेतु ही सर्वप्रथम एक विशेष इच्छाशक्ति व समर्पण की आवश्यकता होती है यानि इच्छाशक्ति विकसित करने हेतु भी एक विशेष इच्छाशक्ति का होना आवश्यक है ।काश मेरे मित्र इस हेतु कुछ सार्थक सलाह दे सकें !

4 comments:

  1. दृढ इच्छा शक्ति वाले एक न एक दिन अपना मुकाम पा ही जाते है,,,

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  2. हमें तो यही समझने में समय लग रहा है कि किस दिशा में इच्छा शक्ति के साथ चलें?

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  3. इच्छाशक्ति तो बहुत है.. पर मन साथ नहीं देता.. मन बड़ा ही चंचल है..

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