जनता के लिये केवल रेजगारी ? |
क्या खूब तमाशा जारी,
यह खुला खेल सरकारी।
पहले तो मँहगाई की मारी
फिर टैक्स वसूलें भारी ,
इतनी आमदनी है सारी,
सब अपनी तोंद डकारी।
है नये इलेक्सन की तैयारी,
तो गरीब की दिखती लाचारी,
नरेगा,फुड बिल कितनी सारी
रोज नयी योजना है जारी,
अपनी टेंट रुपैया खोसें, रेजगारी
जनता को,फिर वापस पाकिटमारी।
खुले आम यह डाकामारी,
तमाशबीन जनता बेचारी ।
क्या खूब तमाशा जारी,
यह खुला खेल सरकारी।
सही में ही खुला खेल है.
ReplyDeleteरामराम.
जनता की लाचारी
ReplyDeleteचुप हो देखे
खुला खेल सरकारी।
देश पुकारे, स्वाहा सब कुछ।
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