जो नीम नीम, वही है हकीम!
(स्केच नंबर ५) ७ सितंबर २०१५
हरे भरे दिखते कितने तुम ,
जो समीप वह छाया पाता।
मस्त पवन संग मस्त झूमते ,
सावन तुझको अंग लगाता। १।
सावन की बहती पुरवाई ,
और ललनायें झूला झूलें।
तेरी हर डाली मचल मचल,
कजरी पचरा के गीत ढलें।२।
यूं दिखते हो सुंदर भावन ,
जब लद जाते हैं पुष्प धवल।
तव अंग अंग ऐसा सजता, कि
मां दुर्गा का फैला हो आंचल ।३।
पर तेरी हरीतिमा सुंदरता ,
है अंदर समेटे कड़वापन ।
फिर निमकौली से सजते जब,
तीक्ष्ण गंध असहज करती मन। ४।
मानव जीवन भी कुछ तेरे जैसा ,
कितने कड़वेपन और सारे गम ।
फिर भी हर अनुभव नयी सीख,
जो नीम नीम, वही है हकीम ।५।
जो बाहर से मीठा लगता,
वह अंदर से कड़वा होता ।
जो देता ऊपर दर्द बहुत ,
वह अंदर से है सुख दे जाता। ६।
#Devendra Dutta Mishra
फोटोग्राफी - श्री Dinesh Kumar Singh द्वारा
Beautiful
ReplyDeleteनीम के फूलों की सुगंध वातावरण में ताज़गी भर देती है - और निंबौली में मिठास भी.
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