जो क्षण मिलता सो जी
लेता,
जो मन दिखता,सो लिख देता।
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हँस
देते कुछ गाते गाते,
ही याद किये कुछ रो देते।
जीवन काव्य स्मृतियाँ संचित,
कुछ मिलन गीत कुछ विरह गीत।१।
ही याद किये कुछ रो देते।
जीवन काव्य स्मृतियाँ संचित,
कुछ मिलन गीत कुछ विरह गीत।१।
गिरें अचानक चलते चलते,
गिरकर और सँभल उठ जाते।
उठ-गिर चलना जीवन यात्रा
कुछ तेज कदम,कुछ शांत कदम।२।
शब्द अनेकों अर्थ हीन से,
शांत अधर अभिव्यक्ति पूर्णता।
कथा श्रृंखला जीवन गाथा,
कुछ कहते कुछ रहे अनकहे।३।
कितना कुछ बिन माँगे देता ,
लेता छीन झपकती पलकों।
खुली तिजोरी जीवन थाती,
कुछ खो देते कुछ पा जाते।४।
जीवन
मौन साधना अक्षम,
निज दुख कितने गाते फिरता।
बरसें उर पीड़ा के बादल,
कुछ जज्ब हृदय कुछ नीर बहे।५।
दिन कटता पर मुश्किल राते,
अँधियारे को साथ भला क्या?
बिस्तर भी चुभता काँटों सा,
कुछ जागे कुछ करवट बदले।६।
जो क्षण मिलता सो जी
लेता,
जो मन दिखता,सो कह देता।
जो कलम थमा दी हाथों में,
कुछ गद्य लिखे कुछ पद्य लिखे।७।
मधुर गीत .............
ReplyDeleteबहुत खूब..पिछली कविता के ही भाव में डूब कर लिखा-सा जान पड़ा।
ReplyDeleteसुंदर भावपूर्ण गीत.
ReplyDeleteजितना हाथ, वही है जीवन,
ReplyDeleteजग के चित्रण बड़े लुभावन,