Wednesday, September 26, 2012

घर नाहीं मेरे श्याम


पंडिता श्रीमती आरती अंकलेकर-टिकेकर

जी हाँ, अद्भुत आवाज है आरती अंकलीकर-टिकेकर जी की।सच पूछें तो शास्त्रीय गायन व इसकी विधाओं के बारे में न तो मेरी कोई जानकारी ही है और न तो कुछ लिख सकने की योग्यता ही,सिवाय इसके कि इस अद्भुत गायकी विधा के महान गायकों की आवाज में भजन,संस्कृत स्तोत्र व खयाल गायन को सुनना मुझे बहुत अच्छा लगता है, इससे मेरे मन व मस्तिष्क को अति सुकून मिलता है, फिर भी यह ऐसा सुखद अनुभव था कि आपसे साझा करने का लोभ संवरण नहीं कर पा रहा हूँ।

दो दिन पूर्व जब मैंने नोकिया म्यूजिक से डाउनलोड किये कुछ कृष्ण भजन व स्तुति के अलबम, जो विभिन्न जाने-माने गायकों- जैसे सुरेश वाडेकर,साधना सरगम व यशुदास की आवाज में हैं, अपने मोबाइल फोन पर सुन रहा था, तो एक मीरा भजन – मुरलिया बाजे यमुना तीर एक अलग तरह की अनुनादमयी मधुर , जादूई व दैवीय आवाज सुनकर मन एक अलग प्रकार की शांति का अनुभव किया।यह आवाज मैंने पहली बार सुनी थी व उत्सुकता हुई कि आखिर किसकी जादूई व दैवीय आवाज है यह , तो  इस Mp3 फाइल की टाइटिल चेक किया तो ज्ञात हुआ इसकी गायिका आरती अंकलीकर जी हैं।हालाँकि इस प्रसिद्ध मीरा भजन के बोल तो पूर्वपरिचित थे व इसे कितने ही प्रसिद्ध गायकों की आवाज में सुना होगा, किंतु आरती जी की आवाज में इस भजन को सुनना तो एक अलौकिक ही अनुभव था।

मन का सारा ध्यान तो इस गीत को सुनने में ही था किंतु इस विलक्षण आवाज की मल्लिका गायिका के बारे में जानने की उत्सुकता भी प्रबल हो रही थी । फिर गूगल सर्च की सहायता से विकीपिडिया पर आरती अंकलीकर जी के बारे में जो जानकारी मिली वह इस प्रकार थी-
आरती अंकलीकर नयी पीढ़ी के भारतीय शास्त्रीय संगीत गायकों में अग्रगण्य मानी जाती हैं।विभिन्न प्रसिद्ध शास्त्रीय गायकों, जैसे स्वर्गीय पंडित वसंतराव कुलकर्णी(आगरा-ग्वालियर घराना),श्रीमती किशोरी अमोनकर(जयपुर-अतरौली घराना) व उनके वर्तमान गुरु पंडित दिनकर कैकिनी की शागिर्दी में खयाल गायकी सीखने के कारण उनके गायकी का अंदाज विभिन्न घरानों की गायकी के अंदाज का अनूठा मिश्रण है।उसपर उनकी अद्भुत अनुनादमयी मधुर आवाज उनकी गायकी को इस प्रकार अलौकिक बनाती है मानो स्वयं माँ सरस्वती गा रहीं हैं। आरती अंकलीकर जी के अनेकों संगीत अलबम प्रकाशित हो चुके हैं और वे कई प्रसिद्ध मराठी,कोकणी व हिंदी फिल्मों में प्लेबैक गायक भी रहीं हैं।

वे देश व विदेश में अनेक प्रसिद्ध संगीत समारोहों व कंसर्टों, जैसे सवाई गंधर्व महोत्सव(पुणे),मल्हार उत्सव(दिल्ली),पं. मल्लिकार्जुन मंसुर प्रणाम(भोपाल),डोवर लेन उत्सव(कोलकाता),आई टी सी संगीत सम्मेलन(चेन्नई), कंसर्ट टूर्स (यू यस ए व कनाडा) इत्यादि। को सुसोभित व अपनी गायकी से उन्हें महिमामंडित कर चुकी हैं।

एक अति योग्य शिष्य होने के साथ ही साथ वे स्वयं भी एक अति योग्य शिक्षक सिद्ध हो रही हैं जबकि उनकी संगीत शिक्षण अकादमी से नयी पीढ़ी के अनेकों अति योग्य शास्त्रीय गायक शिक्षण प्राप्त कर शास्त्रीय संगीत विधा की यशवृद्दि कर रहे हैं।

सरदारी बेगम,सावली,दे धक्का,दिल दोस्ती व धूसर जैसी हिंदी फिल्मों में कई प्रसिद्ध गाने इनकी अति सुंदर आवाज में हैं।मुझे यह तो जानकारी थी कि सरदारी बेगम श्याम बेनेगल जी की एक प्रसिद्ध फिल्म है जो नब्बे के दसक में आयी थी, किंतु इस फिल्म को किसी कारणवश कभी देखने अथवा इसके गीतों को सुनने का अवसर मिला हो याद नहीं आता।हालाँकि मैं स्वयं को श्याम बेनेगल जी की फिल्मों का गहरा प्रसंशक समझता हूँ,किंतु उनकी इतनी प्रसिद्ध फिल्म व इसके गानों को निभाने वाली इतनी अद्भुत गायिका के बारे में मेरी अनभिज्ञता के अहसास से मन को भारी संकोच व झिझक सी हुई की आखिर जीवन में हम स्वयं के बारे में कितनी गलत धारणायें रखते हैं,घोर अज्ञान में जीते हुये भी हम स्वयं को प्रायः महान ज्ञानी समझते रहते हैं।

गूगल पर मिल रही इस जानकारी के बीच ही मेरे मोबाइल फोन पर आरती जी की ही आवाज में दूसरा कृष्ण भजन – मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई बज रहा था। वाह, इसे सुनना तो पिछले भजन के सुनने से ज्यादा अलौकिक अनुभव था।यकीन मानें पिछले दो दिनों से इन दोनों भजनों को न जाने कितनी बार सुन चुका किंतु उन्हे पुनः सुनने की मन की लालसा घटती ही नहीं।

आरती जी के गाये गानों व भजनों के बारे में जानने व सुनने की उत्कंठा में ही आज YouTube पर उनके गाये अद्भुत गानों में कुछ जैसे- मीरा के भजन , सरदारी बेगम फिल्म के गानों  की वीडियो क्लिप्स प्राप्त हुईं ।इनको डाउनलोड कर व ऑडियोफाइल में कन्वर्ट कर अपने मोबाइल में संकलित कर लिया है। आज शाम को कार्यालय से घर वापस की यात्रा में इन गानों को सुनने का अवसर मिला और मन धन्य हो गया।सरदारी बेगम फिल्म में गाये उनके भजन व ठुमरी बेजोड़ हैं । चली पी के नगर जो कबीर दास का निर्गुण है, हुजूर इतना अगर हमपरकरम करते तो अच्छा था जावेद अख्तर की एक लाजबाब गजल है, सांवरिया देख जरा इस ओर एक मीठी सी ठुमरी है ।सबसे सुंदर अनुभव है दादरा में उनका गाया घर नाहीं हमरे श्याम को सुनना ।

सच में आरती अंकलीकर जी को सुनना एक अद्भुत अनुभव है।मन की लालसा और बढ़ गयी है,काश इस महान व विलक्षण गायिका का कभी साक्षात्कार व साक्षात गाते सुनने का सौभाग्य मिले। 

1 comment:

  1. अभी जाकर सुनते हैं, हमारा भी मन सुनने का है।

    ReplyDelete