Thursday, June 20, 2013

गति ही नहीं चपलता भी.....

गति का प्रतीक-दौड़ता चीता

यदि इस पृथ्वी पर सबसे तेज दौड़ने की बात आती है, तो जेहन में प्रथम नाम चीता का आता है,चीता यानी तेज रफ्तार,चीता प्रतीक है तेज गति का।परंतु हाल ही में एक बड़ी रोचक रिपोर्ट यह पढ़ने को मिली कि चीता की ताकत व खासियत सिर्फ तेज गति नहीं अपितु उसकी खासियत है चपलता, उसका पलक झपकते ही दायें,बायें पीछे या किसी भी दिशा में मुड़ने,तेज दौड़ने की गति के दौरान ही अपनी गति व दिशा परिवर्तित कर सकने की अद्भुत क्षमता।अध्ययन कहता है कि चालीस पैंतालीस किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से तेज दौड़ता चीता क्षण में ही अपनी रफ्तार दस से पंद्रह किलोमीटर प्रतिघंटा की गति तक धीमी कर सकता है और सहजता से ही पलक झपकते दायें बायें अथवा पीछे मुड़ सकता है।इस प्रकार अपनी गति पर अद्भुत नियंत्रण न सिर्फ उसे दिशा परिवर्तन की सहजता प्रदान करता है,अपितु उसकी मांसपेसियों व अस्थियों को किसी प्रकार की गंभीर चोट से भी बचाता है।यही कारण है कि जहाँ अन्य हिंसक जीव जैसे सिंह, बाघ इत्यादि अपनी वृद्धावस्था आने तक अति कमजोर,चोटिल,जर्जर व शिकार करने में अक्षम व लाचार हो जाते हैं, जबकि चीता अपनी वृद्धावस्था में भी लगभग अपनी युवावस्था की ही तरह चपल व शिकार का दमखम रखता है।
प्रौढ़ावस्था परंतु दमखम युवाओं का ही


मनुष्य के भी जीवन व व्यवसाय में भी यह सिद्धांत समान रूप से ही लागू होता है।खेल की ही बात करें , विशेषकर ऐसे खेल जो तेज रफ्तार के लिये जाने जाते हैं जैसे फुटबाल,बास्केटबाल,लॉनटेनिस, क्रिकेट में तेजरफ्तार बॉलिंग इत्यादि, इन खेलों में भी तेज रफ्तार के साथ-साथ उससे भी अधिक महत्वपूर्ण आवश्यकता होती है खिलाड़ी की चपलता यानि तेज गति के साथ-साथ आवश्यकता के अनुरूप अपनी गति व दिशा पर कुशल नियंत्रण की क्षमता।यहाँ कुशल का तात्पर्य है कि बिना संतुलन खोये व बिना स्वयं को किसी भी प्रकार की शारीरिक क्षति पहुँचाये  अपनी गति व दिशा पर नियंत्रण करने की क्षमता।मेरा खेल के बारे में ज्ञान तो अल्प है, थोड़ी बहुत जो जानकारी है वह भी क्रिकेट की ही है, उसके आधार पर भी यही निष्कर्ष निकलता है,और जिससे आप भी निश्चय ही सहमत होंगे कि जहाँ कुछ तेज रफ्तार गेंदबाज,जैसे रिचर्ड हेडली,कपिलदेव,मैकग्रा,वाल्स,वसीम अकरम ज्यादा सफल रहे जिनके पास तेज गति के साथ साथ गति व दिशा नियंत्रण की भी अद्भुत कुशलता थी, वहीं कुछ ऐसे बहुत तेज गेंदबाज जैसे डोनाल्ड, ब्रेट ली,शोएब अख्तर व कुछ अन्य जो इतिहास में कहीं खो गये,जिनके पास रफ्तार तो जबरदस्त थी,तेज रफ्तार उनकी नैसर्गिक प्रतिभा थी, परंतु उनका  गति व दिशा पर नियंत्रण उतना लाजबाब नहीं था,फलस्वरूप वे अपनी प्रतिभा के अनुरूप सफलता हासिल करने में असफल रहे।अमूमन गति व दिशापर कुशल नियंत्रण वहीं कर सकता है जो अपने शरीर,शारीरिक क्षमता व कमजोरी एवं समय व परिस्थिति की माँग के प्रति चौकन्ना व सजग है , इस सजगता के फलस्वरूप वह न सिर्फ ज्यादा प्रभावी व सफल होता है बल्कि अपने शरीर की क्षमता व कमजोरी के प्रति सजगता के कारण उन्हें खेल में चोट लगने व घायल होने की संभावना भी न्यूनतम हो जाती है।यही कारण है कि जहाँ रिचर्ड हेडली,कपिलदेव,मैकग्रा,वाल्स,वसीम अकरम जैसे खिलाड़ी अपने खेल जीवन में बहुत कम ही किसी शारीरिक चोट अथवा क्षति के शिकार हुये व उनका खेल कैरियर भी दीर्घ रहा जबकि ब्रेट ली,शोएब अख्तर जैसे अति प्रतिभाशील व अद्भुत तेजरफ्तार के धनी खिलाड़ी का अधिकाँश खेल कैरियर गंभीर शारीरिक चोटों,व क्षतियों के शिकार रहा व वे अपेक्षित सफलता हासिल करने से वंचित रहे व खेल कैरियर भी अधूरे में समाप्त हो गया।
महान तेज गेंदबाज ग्लेन मैकग्रा
-तेज गति के साथ-साथ गैंद की दिशा व लंबाई पर सटीक नियंत्रण

यही बात व्यवसायों में भी लागू होती है।कई बार कुछ व्यवसाय अपने तेज विकास व सफलता की धुन में भविष्य की परिवर्तित परिस्थितियों व माँग के बदलते स्वरूप के प्रति सजगता खो देते हैं, जिसके फलस्वरूप अपने व्यवसाय की दौड़ मेंवे  ऐसे क्लिफ पर आ जाते हैं जहाँ उनको पलट कर वापस लौटने का भी अवसर नहीं होता और तेज गति होने से रुकना भी संभव नहीं होता, और नतीजतन वे गहरी खाँईं में औंधे गिरकर विनष्ट हो जाते हैं।ऐसे अनेकों उदाहरण हैं जहाँ किसी समय में चोटी पर व निरंतर विकसित हो रहे व्यवसाय एकाएक धराशायी हो गये व ऐसे औधे मुँह गिरे कि उनका दुबारा उठना भी संभव नहीं रहा व मात्र इतिहास बन कर रह गये।देखें तो नोकिया फोन इसका सटीक उदाहरण है,करीब एक दशक पहले नोकिया का मोबाइल फोन में 97 प्रतिशत बाजार पर कब्जा था, और एक दो वर्षों तक उसकी यह सफलता बेजोड़ व लगातार बनी रही। किंतु स्मार्टफोन तकनीकि ,व अति परिवर्तनीय संचारप्रणाली के साथ सामंजस्य के अभाव में व अपने व्यवसाय प्रतियोगियों की तेज प्रगति व तेज विकसित तकनीकि प्रणाली व बाजार की बदलती माँग की अनदेखी से उन्हें मोबाइल सेट व्यवसाय में औंधे मुँह गिरना पड़ा, और देखते-देखते नोकिया नंबर एक से कहीं पीछे छूटकर फिसड्डियों की जमात में पहुँच गया है।

व्यवसाय की बात छोड़ भी दें तो हमारे व्यक्तिगत जीवन में भी यही सिद्धांत कमोवेस लागू होता है।जीवन में यह अवश्य महत्वपूर्ण है कि हम कितने तेजी व दमखम से अपना कार्य करते हैं, चाहे वह हमारा छात्र जीवन हो अथवा नौकरी,उद्यम का जीवन, किंतु हमारे कार्य करने की तेजी व दमखम से भी ज्यादा आवश्यक है हमारी जीवन में निर्णय लेने की चपलता,यानि परिवर्तित समय व परिस्तिथि के अनुरूप स्वयं को ढालकर , उचित व संतुलित निर्णय क्षमता ।हमारी कड़ी मेहनत व लगन के साथसाथ अति आवश्यक है कि हमें समय के साथ परिवर्तित अवसरों व दिशाओं का सही भान हो और साथ ही साथ हमें अपनी क्षमता व कमजोरी का भी सही व ठोस आकलन हो, ताकि हमारा प्रयास, स्वयं को न्यूनतम शारीरिक अथवा मानसिक क्षति किये सार्थक दिशा व लक्ष्य हेतु सिद्ध हो।इसी में ही हमारे जीवन का सुख व शांति निहित है। 
जोश में भी होश के प्रतीक- स्वामी विवेकानंद

3 comments:

  1. क्रोध उठे तो अंधड़ से हम,
    शान्त रहे युगदृष्टा जैसे,
    काल कहे तो जुट जाते हम,
    नहीं कार्य, बन पाथर बैठे।

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  2. Reminds me of light Gnat aircraft of HAL in 1965 war against heavier F86; Cheeta against an elephant!
    Unfortunately We have lost that momementum and HF24 spirit of sixtees.
    On the Railways three new locomotive designs WAM4, WCG2 and WCAM1 were evolved at RDSO.
    Keep it up Mishra ji.

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  3. Door drishti,soch samajh , dherya aur phir sahansheelta bahut jaroori baten hai life me...

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