Tuesday, February 21, 2012

मौन में अस्तित्व की अभिव्यक्ति है।



मौन में कलियाँ चटकती पुष्प खिलते,
मौन में दो प्रेमी हृदय के मिलन होते,
मौन में  ही शशिकिरण से अमृत झरते,
मौन रहकर शून्य में हैं मेघ सजते,
मौन में अस्तित्व की अभिव्यक्ति है ।1।



शांत मन के गर्भ में ही भावना के  गीत बनते,
शांत उर के कोट में ही प्रेमकरुणा द्रवित बहते,
शांत पर्वतघाटियों में स्वंछद झरने नाद करते,
शांत वनगह्वर सघन में योगीजन हैं ध्यान करते,
शांति में ही बुद्ध की अभिव्यक्ति है।2।






चित्त स्थिर है वहीं अनूभूति बनती,
वृत्ति स्थिर है वहीं सद्कृति होती,
पश्यना स्थिर जो हो युगदृष्टि बनती
विरंचना स्थिर बने तो सृष्टि सजती,
गति में अंतर्निहित स्थिरता ही शक्ति है।3।




मन समर्पण, तन समर्पण, सब समर्पण प्रतिगता,
है समर्पण भाव ही प्राप्ति पथ प्रशस्त करता,
सब समर्पण कर दिये तब ही है यह कोश भरता,
इति समर्पण मात्र से ही है सहस्रदलकमल खिलता,
सर्वसमर्पण पथ ही ब्रह्मत्व का सुरूह मार्ग है।4। 

13 comments:

  1. सार्थक और अंतराष्ट्रीय सत्य विचार को उजागर करती पोस्ट....

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  2. बीते दिनों की यादें जब भी गहराती हैं
    अंतर्मन में कोलाहल सा मचाती हैं

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  3. आजकल ऐसी रचना देखने को भी नहीं मिलतीं।

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  4. स्निग्ध भावों को बिखेरती सुन्दर रचना ह्रदय में उतड रही है..

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  5. सुन्दर अनुपम गहन प्रस्तुति.
    स्थिर और मौन होने की प्रेरणा देती हुई.
    'आत्मानंद' का अहसास करने की.
    तम,रज और सत् के बंधन से मुक्त हो
    आत्म भाव में रहने की.

    वाह! देवेन्द्र जी.
    हार्दिक आभार आपका.

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  6. मित्रवर
    आप से निवेदन है कि एक ब्लॉग सबका
    ( सामूहिक ब्लॉग) से खुद भी जुड़ें और अपने मित्रों को भी जोड़ें... शुक्रिया
    आप भी सादर आमंत्रित हैं,

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  7. बहुत बढ़िया भाव अभिव्यक्ति,बेहतरीन रचना,...
    आपका फालोवर बन गया हूँ आप भी बने मुझे खुशी होगी
    मेरे पोस्ट पर आइये स्वागत है ....

    NEW POST...फिर से आई होली...
    NEW POST फुहार...डिस्को रंग...

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