Sunday, March 13, 2011

शिवमेवम सकलम् जगत: ………नारी तुम केवल श्रद्धा हो ?

शिवमेवम सकलम् जगत: ………नारी तुम केवल श्रद्धा हो ?: "विगत सप्ताह, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में कुछ आयोजनों व संगोष्ठियों में उपस्थित होने और वहा..."

6 comments:

  1. चिन्ता हालातों को देखते हुए स्वभाविक है किन्तु स्थितियाँ बेहतरी की ओर हैं, यह भी तय हैं. शुभकामनाएँ.

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  2. नारी श्रद्धा है , देवी है , अबला है ....सिर्फ इंसान नहीं है ...Sigh !!!!

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  3. @Zeal , दिव्या जी मेरा भी आपके विचार के अनुरूप ही मत है कि नारी को मात्र एक प्रतीक के आडम्बर के आबरण में ढककर उसकी सामान्य वृद्धि व आत्म-संबल को ढेस देने के बजाय उसे सामान्य वातावरण में सामान्य रूप में पुरुष वर्ग से गैर इतर पूरी बराबरी के स्तर पर होना चाहिये ।

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  4. देवेंद्र जी रसबतिया पर आने और रसबतिया का रसिक बनने के लिए
    धन्यवाद आपने सही लिखा है कि जिस दिन एक पिता को ये चिता नहीं रहेगी कि उसकी बेटी अकेली बाहर गयी है उस दिन असली महिला सशक्तिकरण होगा ।

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  5. प्रिय सर्जना जी,
    रसबतिया जैसे उत्कृष्ट ब्लॉग से जुडना मेरे लिए सौभाग्य व सुअवसर की बात है ।
    जी, एक पिता के रूप में तो मुझे नारी सशक्तिकरण का यही न्यूनतम मानक संतोषजनक व निश्चिंतता प्रदान कर सकने वाला प्रतीत होता है ।

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  6. आप से पुर्णतः सहमत हूँ

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