Monday, November 19, 2012

कितने ही हालात कठिन हों , आशा नयी जगाकर रखो....


5 comments:

  1. राहें अक्सर ढूढ़ लेती है मंजिल का पता ठिकाना
    इन राहों पर कुछ तो अपने कदम बढ़ाकर देखो,,,

    उत्कृष्ट प्रेरक रचना,,

    recent post...: अपने साये में जीने दो.

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  2. आपके इस प्रविष्टी की चर्चा बुधवार (21-11-12) के चर्चा मंच पर भी है | जरूर पधारें |
    सूचनार्थ |

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  3. अनमोल.. अति सुन्दर..

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  4. एक एक शब्द पढ़ता गया और ऊर्जा में डूबता गया..

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  5. सुन्दर...प्रभावी रचना....

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