विगत 31 मार्च, 2011 को IIMB (भारतीय प्रबंधन संस्थान , बेंगलूर ) का 36वाँ दीक्षान्त समारोह था, जिसमें पाँच सौ से भी ज्यादा दीक्षित छात्रों को उनके प्रबंधन की विभिन्न डिप्लोमा उपाधियों से विभूषित किया गया । मैं भी इन भाग्यशाली छात्रों में एक था, और इस अवसर पर IIMB से परास्नातक डिप्लोमा प्रबंधन में उपाधि प्राप्त करने का सौभाग्य और गौरव प्राप्त हुआ ।
श्री कपिल सिब्बल, मानव संसाधन मंत्री भारत सरकार, इस समारोह के मुख्य अतिथि थे । उपाधियों का वितरण व दीक्षान्त हेतु स्नातकों द्वारा शपथ की प्रक्रिया श्री मुकेश अम्बानी, अध्यक्ष IIMB के द्वारा सम्पन्न हुआ। समारोह ठीक समयानुसार 6-30 सायं शुरू हुआ। सारी प्रक्रियाएँ क्रमबद्ध, सुनियोजित,रंच-मात्र की भी चूक या त्रुटि के ऐसे सम्पन्न हुई, मानों सारा दृश्य पहले से ही फिल्मांकित कर लिया गया हो, और एक त्रुटिहीन शुद्ध सम्पादित मूवी का दो घंटे का शो चल रहा हो ।मंच पर आसीन पचास की संख्या से भी ज्यादा अतिथिगण, प्राध्यापक, और IIMB प्रबंधन ट्रस्ट के माननीय सदस्यगण, सामने की ओर पूरी शान्ति और अनुशासन के साथ बैठे पाँच सौ से भी अधिक की संख्या में स्नातकउपाधि योग्य छात्र, इतनी ही संख्या में दर्शक रूप में उपस्थित संस्थान के अन्डरग्रैडुएटिंग छात्र, चार-पाँच सौ की संख्या में उपस्थित अभिवावक गण एवम् अन्य उपस्थित दर्शकों, संस्थान के कर्मचारियों की बडी संख्या में उपस्थिति के बावजूद, वहाँ अद्भुत की व्यवस्था व शांति थी ।एक उत्कृष्ट संस्थान के नाम, सम्मान व स्थान के अनुरूप ही , इस समारोह का आयोजन भी एक उत्कृष्ट प्रबँधन व व्यवस्था स्थापन का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत कर रहा था ।समारोह का प्रारम्भ सरस्वती आराधना के पवित्र संस्कृत श्लोकों के सुमधुर गायन से हुआ , और समापन राष्ट्रगान से हुआ।सम्पूर्ण आयोजन इतने लयबद्ध एवं तारतम्यता से सम्पन्न हो रहा था मानों माँ शारदा स्वयं संवाहक के रूप में अपनी वीणा के झंकारों व ताल पर एक संगीत आयोजन का संचालन कर रही हों ।
समारोह का आयोजन स्थल, संस्थान का खुला एम्पीथिएटर , इसके चारों ओर फैली हरीतिमा, और स्टेज की पृष्ठभूमि में संस्थान की सुरुचिपूर्ण ग्रेकलर ग्रैनाइट की इमारत , हैलोजन लाइट की संतुलित प्रकाश व्यवस्था में, पूरे परिवेश को अद्भुत देव-लोकीय छटा व सुन्दरता प्रदान कर रहे थे ।
दीक्षान्त समारोह में छात्रों को उपाधि वितरण के उपरान्त श्री कपिल सिब्बल और श्री मुकेश अम्बानी के संक्षिप्त भाषण का लाभ छात्रों और दर्शकों को मिला।
श्री कपिल सिब्बल का भाषण अति-सारगर्भित और प्रभावशाली था । उन्होने वर्तमान भारत की तीव्र आर्थिक विकास दर एवं उसके निकट भविष्य में एक विकसित आर्थिक व शक्तिसम्पन्न देश बनने की सकारात्मक परिस्थितियों के सापेक्ष में भारत की युवा शक्ति की मुख्य भूमिका , व साथ ही साथ देश के सतत तेज विकाश हेतु मूलभूत संरचना के निर्माण हेतु , देश में कुशल नेतृत्व व प्रबंधन की वृहत मानव संसाधन की आवश्यकताओं के मद्देनजर, उच्चकोटि की शिक्षा व्यवस्था प्रणाली की आवश्यकता और इसकी उपलब्धता की कठिन चुनौतियों पर बल दिया । उनका कथन था कि देश के विकास में शिक्षा के मूलभूत महत्व के मद्देनजर ही सरकार ने शिक्षा को भारतीय संविधान में मौलिक अधिकार के रूप में स्थापित कर, सबको शिक्षा प्रदान करने का अभियान उठाया है। नतीजतन , जनसंख्या 2011 के आँकडो के अनुसार, देश की शिक्षा दर में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, और अब यह 73 प्रतिशत के सम्मानजनक स्तर तक पहुँच गयी है । साथ ही साथ श्री सिब्बल ने उच्च और प्रबंधन की शिक्षा में नवाचार, उच्च नैतिक मूल्यों, व्यावसायिक दृष्टिकोण, नेतृत्व क्षमता और प्रबंधन क्षमता के विकाश करने की आवश्यकता पर भी विशेष बल दिया ।
श्री मुकेश अम्बानी ने विश्व और कारपोरेट जगत में तेजी से बदलते आर्थिक व तकनीकि परिदृश्य की अपने स्वाभाविक अति व्यावसायिक और विचार-केन्द्रित भाषण में बडे ही नपी-तुली व स्पष्ट भाषा में व्याख्या की। उनका अति महत्वपूर्ण कथन यह था कि आज के उभरते हुए तीन तकनीकि क्षेत्र- जेनेटिक्स, आर्टिफिसियल इंटेलीजेंस और नैनोटेक्नोलॉजी , आने वाले भविष्य में एक नये विश्व व उसके नये आर्थिक स्वरूप को परिभाषित करेंगे। यह भारत जैसे युवा शक्ति व प्रचुर मानव संसाधन पूर्ण देश के समक्ष जहाँ विश्व का आर्थिक व बौद्धिक नेतृत्व करने का ऐतिहासिक अवसर है, तो साथ ही साथ सबको इस विकाश की धारा में समानता पूर्वक व कुशलता पूर्वक प्रमुख भूमिका निभाने का अवसर व योग्यता प्रदान करने की कठिन चुनौती भी है । श्री अम्बानी ने भारतीय प्रबंधन संस्थान के छात्रों का इन चुनौतियों को निबटने में अपने ज्ञान, कौशल और दीक्षा का सार्थक उपयोग करने का आह्वान किया ।
आपको हार्दिक बधाई ...कपिल सिब्बल व मुकेश अम्बानी जैसे लोग आज दीक्षांत समारोह में भाषण देने योग्य नहीं हैं...क्योकि इनकी कोई भी कामयाबी उच्च चरित्र आधारित व ईमानदारी आधारित नहीं है ...इन लोगों ने योग्यता का उपयोग बेईमानी से कैसे सिर्फ देश व समाज को नरक बनाकर धन बनाने के लिए किया जा सकता है जैसा आदर्श प्रस्तुत किया है इस देश के महान युवा पीढ़ी के सामने ना की योग्यता का उपयोग ईमानदारी की खूबसूरती से कैसे देश व समाज को खूबसूरत बनाने के लिए किया जाय इसके लिए ....मैं इन दोनों को योग्य धनपशु ही कहना चाहूँगा ना की एक इंसान...असंतुलित धन और सुख की चाह इंसान को धनपशु ही बना देता है...
ReplyDeleteआपको IIMB के दीक्षांत समारोह की बहुत बहुत बधाई.अब आप नवजीवन में पदार्पण कर रहे हैं.आशा है आप देश का नाम गौरान्वित करने में कोई कोर कसर न छोड़ेंगे.
ReplyDeleteनवसंवत्सर पर आपको हार्दिक शुभ कामनाएँ.हो सके तो मेरे ब्लॉग 'मनसा वाचा कर्मणा' पर भी पधारें.आपका स्वागत है.
भारत को युवा शक्ति की आवश्यकता है, हम सप्रयास युवा बने रहें। बहुत बधाई हो आपको।
ReplyDeleteDear Mishraji,
ReplyDeleteWonderful article.
As I was one of the participant in the Convocation Ceremony along with you, I can visualize and feel every word you have written.
Continue on with the good work of writing.
Sorry for the English comment but I cannot type Hindi,
Regards,
Dr Rathi...
IIMB से परास्नातक डिप्लोमा प्रबंधन में उपाधि प्राप्त करने के लिए आपको हार्दिक बधाई.
ReplyDelete@Dr Prateek Rathi : Thank you Doctor for being such a wonderful batchmate and the best friend at IIMB.You have been ever jubilant and the inspiring a great personality. Thanks for everything. My all teh good wishes for uor conference at Wishington.Please keep in touch.
ReplyDeleteप्रिय रचना जी, आपका हार्दिक आभार और धन्यवाद ।
ReplyDeleteDear DD,
ReplyDeleteThe way you have illustrated the happenings give us the feelings of live programme. Congrates for obtaining the PG Diploma & best wishes.
Regards
Manoj Dubey