Saturday, March 31, 2012

देवाधिदेव प्रभु श्री राम ! राम.....





( राम नवमी के पावन अवसर पर प्रभु श्री राम के चरणकमलों में सादर अर्पित। )

रविकुल तिलक, हे दीप्त भाल ,
मुख कमल नव, लोचन विशाल।1।

श्यामल  शरीर, ल्यौं मेघ नील,
आजान बाहु , शुभाचरणशील।2।

कोदण्डपाणि, हे श्रीनिवास,
हे हरणताप, सुख के विलास।3।

रिपुदमन श्रेष्ठ, भुजबल प्रताप,
भक्तों के आश,ऋषिगण सुजाप। 4।

हे दीनपाल , करुणा निधान ,
हे जगतपाल, जग के विधान ।5।

शत शत प्रणाम, कोटिश प्रणाम,
तेरा निवास हो मम हृदयधाम।6।

तव स्मरण मात्र  हों शंका विराम,
देवाधिदेव प्रभु  श्री  राम ! राम।7।

11 comments:

  1. राम नाम मधुरम् मधुरम्..
    अद्भुत कृति।

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  2. धन्यवाद प्रवीणजी।

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  3. शत शत प्रणाम, कोटिश प्रणाम,
    तेरा निवास हो मम हृदयधाम,.....
    बहुत बढ़िया रचना,...देवेन्द्र जी,..बधाई

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  4. धन्यवाद धीरेंद्र जी।

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  5. अति सुंदर ..... अद्भुत राम स्तुति.....

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  6. ध्वनी सौन्दर्य से नाद से संसिक्त है भाई साहब आकी रचना . शब्द रचना में ओज है प्रवाह है .

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  7. जय श्री राम... राम नवमी की आपको शुभकामनाएं...

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    1. आभार। पुनः शुभकामनायें।

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  8. कोदण्डपाणि का क्या अर्थ

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