( राम नवमी के पावन अवसर पर प्रभु श्री राम के चरणकमलों में सादर अर्पित। )
रविकुल तिलक, हे दीप्त भाल ,
मुख कमल नव, लोचन विशाल।1।
श्यामल शरीर, ल्यौं मेघ नील,
आजान बाहु , शुभाचरणशील।2।
कोदण्डपाणि, हे श्रीनिवास,
हे हरणताप, सुख के विलास।3।
रिपुदमन श्रेष्ठ, भुजबल प्रताप,
भक्तों के आश,ऋषिगण सुजाप। 4।
हे दीनपाल , करुणा निधान ,
हे जगतपाल, जग के विधान ।5।
शत शत प्रणाम, कोटिश प्रणाम,
तेरा निवास हो मम हृदयधाम।6।
तव स्मरण मात्र हों शंका
विराम,
देवाधिदेव प्रभु श्री
राम ! राम।7।
राम नाम मधुरम् मधुरम्..
ReplyDeleteअद्भुत कृति।
धन्यवाद प्रवीणजी।
ReplyDeleteशत शत प्रणाम, कोटिश प्रणाम,
ReplyDeleteतेरा निवास हो मम हृदयधाम,.....
बहुत बढ़िया रचना,...देवेन्द्र जी,..बधाई
धन्यवाद धीरेंद्र जी।
ReplyDeleteअति सुंदर ..... अद्भुत राम स्तुति.....
ReplyDeleteधन्यवाद मोनिका जी।
Deleteध्वनी सौन्दर्य से नाद से संसिक्त है भाई साहब आकी रचना . शब्द रचना में ओज है प्रवाह है .
ReplyDeleteधन्यवाद।
Deleteजय श्री राम... राम नवमी की आपको शुभकामनाएं...
ReplyDeleteआभार। पुनः शुभकामनायें।
Deleteकोदण्डपाणि का क्या अर्थ
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