Saturday, February 12, 2011

........चिरांगामुहब्ब्त की लौ जलती रहे

इन हवाओं से प्यार की खुशबू आती रहे|
दरिया ए मुहब्बत पेश्तर बहती रहे|
दिल की हर धड़कन में हो सदा चाहत की,
इस चिरांगामुहब्ब्त की लौ जलती रहे |

2 comments:

  1. ईश्वर आपकी आशाओं पर सहमति दे।

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  2. पाण्डेजी मेरी मात्र एक ही आशा (मेरी पत्नी)है । हाहाहाहा.....

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