वैश्वीकरण, कार्य बल विविधता, विघटनकारी प्रौद्योगिकियों के वर्तमान संदर्भ, और व्यापार की बढ़ती जटिलताओं, कंपनियों को निरंतर बदलाव( अंतर्परिवर्तन) अपरिहार्य है.वस्तुत: अब नेतृत्व की वर्तमान व्याख्या, अक्सर संगठन में नयी गतिविधि शामिल करते हुए, एक नई व्यवस्था के बारे में पहल करने से किया जाता है .इस बदलाव( अंतर्परिवर्तन) और संबंधित मुद्दों को दो कोणों से देखा जा सकता है: एक तो व्यक्तिगत नजरिए से कि इस बदलाव( अंतर्परिवर्तन) के समुचित व सफल प्रबंधन हेतु व्यक्तिस्तर पर क्या करने में सक्षम होने की जरूरत है, एवं दूसरा संगठनात्मक दृष्टिकोण से कि नवाचारों को उद्यम भर में पूरी तरह से व सफलतापूर्वक फैलाने व प्रबंधित करने के लिए संगठन को एक इकाई के रूप में क्या करना चाहिए.
हालांकि व्यक्तिगत स्तर के परिवर्तन के मुद्दे निम्नलिखित है, और जो व्यक्तिगत स्तर पर परिवर्तन करने के विरुद्ध प्रतिरोध के कारण बनते हैं:
• नौकरी की सुरक्षा, वर्तमान अन्तर्निहित शक्तियों या स्थिति के विरुद्ध कथित (Perceived) खतरा.
• प्रबंधन में विश्वास
• भविष्य की योजनाओं पर उपलब्ध सूचनाएँ
• सहयोगियों का प्रभाव
• व्यक्तिविशेष की उपलब्धि के प्रति स्वयं की अपनी आवश्यकता
परिवर्तन के सापेक्ष में, सूचना प्रवाह के प्रभावी चैनल हैं:
• एकालाप: ऊपर से नीचे संचार
• वार्ता: तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत
• पृष्ठभूमि: साथियों के साथ अनौपचारिक बातचीत
संगठन स्तर पर महत्वपूर्ण कारक जो बदलाव को प्रभावित कर रहे हैं: बाहरी वातावरण, नेतृत्व, मिशन और रणनीति, संस्कृति, प्रबंधन प्रथाओं, संरचना, सिस्टम और जलवायु
इन्फोसिस में नेतृत्व परिवर्तन:
इन्फोसिस में नेतृत्व के ढांचे में परिवर्तन के तीन प्रकार अपनाये गये:
• बदलाव नेतृत्व : यह प्रतिरोध के दौरान कुशल प्रबंधन है ताकि बदलाव के लाभ के पूरी तरह से भुनाया जा सके.
• दुर्भाग्य नेतृत्व: जो संकट के प्रबंध के बारे में है।
• संक्रमण नेतृत्व: जो व्यवसाय की नई लाइनों के अधिग्रहण व उनके एकीकृत करने से सम्बन्धित है।
सूचना का प्रवाह दोनों ओर होते रहने से संस्था में गति बनी रहती है।
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