इस पुस्तक मे नेतृत्व के प्रकार को संपादक द्वारा 7 भागो में विभाजित किया गया है किया है और प्रत्येक के लिये एक अध्याय समर्पित किया गया है । संपादक ने प्रत्येक नेतृत्व प्रकार के लिए 3-5 नेताओं का चयन किया है. प्रत्येक अध्याय में नेतृत्व के विशेष प्रकार को समझाने के लिए सम्बन्धित अनुसंधान साहित्य एवँ इन्फोसिस के द्वारा उनके अनुपालन का प्रयास पर जोर दिया गया है. सम्बन्धित नेताओं , जिन्होने नेतृत्व के विशेष प्रकार में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है, के प्रारूप साक्षात्कार द्वारा इन्फोसिस के उस नेतृत्व-प्रकार हेतु साधरा की पुष्टि की गयी है. वैसे पुस्तक के अधिकाँश अध्यायों के लेखक इन्फोसिस नेतृत्व संस्थान के कंसल्टेंट्स है , न कि नेतृत्व प्रदान करने वाले खुद सक्षम नेता, इसलिये पुस्तक व्यावहारिक की तुलना में सैद्धांतिक अधिक लगती है . इसके अतिरिक्त चूँकि प्रत्येक अध्याय एक अलग लेखक के द्वारा लिखा गया है , हालांकि वे अध्याय को एक निर्धारित टेम्पलेट मे लिखे हैं , इसलिये स्वाभाविक रूप से प्रत्येक अध्याय के साथ भाषा व विचार की शैली में परिवर्तन आता गया है. नेताओं की संक्षिप्त जीवनी किताब के अंत में उल्लेखित है .
पहला अध्याय – इन्फोसिस मे नेतृत्व: भूतकाल से वर्तमान तक , जैसा शीर्षक से ही स्पष्ट है, इन्फोसिस की सन् 1981 से अब तक 2010 तक का सुन्दर व प्रभावशाली ढँग से उल्लेख करता है । इन्फोसिस का अविश्वसनीय पूंजी विकाश –उसके प्रारंभिक बीज निधि 200 अमेरिकी डालर का इँतजाम , जो कि आप सभी जानते हैं कि श्रीमती मूर्ति के आभूषण बेच कर किया गया, से लेकर उसका वर्तमान राजस्व 33 बिलियन डालर( मई 2010) किसी परीकथा से कम नही लगता । किन्तु इस अलौकिक उपलब्धि का सबसे स्वर्णिम व प्रभावशाली पहलू है: कम्पनी की सम्मानपरक ( ग्राहक को सर्वोपरि सम्मान देते हुए स्वयँ भी समकक्ष सम्मान की भागीदारी ) व मूल्यो पर आधारित ( दृढ नैतिकता,नियम कानूनो का सम्मान व आचारपरायणता ) व्यवशाय नीति । कम्पनी की इस स्वर्णिम सफलता मे इन मुख्य कारको के अलावा सबसे प्रभावकारी कारक है : कम्पनी का आधार रखने वाले विभूतियो का आपसी विश्वास, सौहार्द एवँ उनकी टीमपरायणता । इन कुशल व समर्पित कम्पनी प्रबन्धको ने न सिर्फ एक दूसरे के पूरक बन कम्पनी को कुशल नेतृत्व प्रदान कीया , बल्कि कम्पनी के दीर्घगामी व्यवशायिक हित मे कम्पनी मे नव नेतृत्व निर्माण मे भी प्रमुख भूमिका निभायी । (क्रमश:)
पढ़ने में आनन्द आयेगा, हिन्दीभाषियों को आपका भावानुवाद भायेगा।
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