अंगोला की राजधानी लुआंडा के बाहरी कम्यूटरशहर वाले हिस्से को एक नीली मेटेलिक बाड़ जो मुख्य सड़क के साथ साथ है , मुख्य शहर से अलग करती है . शहर मे एक तरफ सिविल सेवकों के लिए नए अपार्टमेंट इमारतों जो लक्जरीरसोई और हरे भरे लॉन में एम्बेडेड सिस्टम के साथ खड़े है ,तो दूसरी ओर वे लाचार किसान , जिनको उनकी जमीन से बेदखल कर आधुनिक शहर बसाने के लिए इस्तेमाल किया गया , रह रहे हैं. एक किसान की माँ अपने झोपड़ी के बाहर सूखी जमीन खरोंच, पानी की कुछ घूट के लिए भीख माँग रही है , कहती हैं. " इससे पहले कि सरकार ने हमारे खेतों को छीन लिया,हम मक्का , आलू और कसावा उगाते थे . "
27 साल के गृह युद्ध समाप्त होने के बाद 2002 से, अंगोला उप सहारा अफ्रीका के सबसे अमीरदेशों में से एक बन गया है. अंगोलन खाने दुनिया भर में हीरे का पांचवां सबसे बड़ा स्रोत हैं. वर्तमान आर्थिक रुझानों के आधार पर, यह नाइजीरिया से आगे निकल अफ्रीका का सबसे बड़ा तेल उत्पादक बन सकता है, इसका प्रति दिन का तेल उत्पादन पहले ही 1.9m बैरल है. इस देश की विशाल कृषि क्षमता है. सड़क और रेल जो कि लड़ाई के दौरान नष्ट हो गए थे उन्हे फिर से बनाया गया है. नए स्कूलों और अस्पतालों का निर्माण हुआ है.
लेकिन अंगोला दुनिया के सबसे असमान आर्थिक व्यवस्था वाले देशों में से भी एक है. (इसका गिनी गुणांक , आय वितरणका एक उपाय जो शून्य मात्रा मे आदर्श समानता दर्शाता है-0.55 है). संसाधन उछाल के लाभों में से अधिकांश हिस्सा एक काफी छोटे से अभिजात वर्ग के लिए चला गया है जो कि सेंट Tropez (एक घिरा परिक्षेत्र जो समुद्र तट क्लब के साथ रहता है ) के एक अफ्रीकी संस्करण की तरह लगता है. गगनचुंबी इमारतों की फसल, चिकनी और खूबसूरत मोटरबोटो और महगी फेराटी याच से सजे बंदरगाह को घेरे हुए हैं.
गरीबों की आत्म - निर्मित बस्तियों को अंगोला में Musseques कहा जाता है.पहले ये बस्तिया लुआंडा के सफेद रेतीले समुद्र तटों के पीछे बसा करती थी. अब उन्हे अभिजात्य वर्ग के वांछनीय स्थानों से दूर अंतर्देशीय धकेल दिया गया है, शहरो हेतु भूमि बरामदगी एक विस्फोटक राजनीतिक मुद्दा बन गया है, और राजधानी के दूरदराज इलाके विस्थापित आबादी से भर रहे है. इन विस्थापित लोगों को मड़ई कस्बों का निर्माण हेतु टिन की शीट दे दी जाती है, लेकिन उन्हे कोई मुआवजा नही दिया जाता है. 5m के लुआंडा जनसंख्या का केवल 9% ही शुद्ध पेय जल पा रहा है, जो कि गृह युद्ध के दौरान की तुलना में भी कम हिस्सा है. अंगोला के 18m की लगभग आधी आबादी को स्वास्थ्य देखभाल की सेवा नहीं पहुँचती है. देश की शिशु मृत्यु दर दुनिया की सबसे ऊंची दरों में से एक है और अंगोला दुनिया के केवल उन कुछ देशो मे है जहाँ शहरी पोलियो के ज्ञात मामले हैं.
सरकार को सार्वजनिक सेवाओं में सुधार की जरूरत के बारे में सब सही बातें कहते हैं. सरकार भी 'सभी के लिए पानी "और " दस लाख घरों " ( जिसे आलोचकों द्वारा के सरकार का मजाक उडाने के लिये एक मिलियन डॉलर के घर कहा जाता है क्योकि ये गरीबो के लिये unaffordable है और इनमे केवल अमीर ही रह रहे हैं.) वैसे तो इन मूलभूत सुविधाओ को बनाने का सरकारी वादा और 40 अरब डॉलर बजट तो कुछ यूरोपीय देशों की तुलना में भी बड़ा है. लेकिन साधारण जनता को अभी भी सहायता एजेंसियों से ही सबसे अच्छी उम्मीद रहती हैं. Kilamba Kiaxi, लुआंडा के एक उपनगर में, 1m लोगो को पीने का पानी पिछले साल पहली बार स्वाद तभी मिला जब यूनिसेफ ने कुछ दर्जन नल की स्थापना की. स्थानीय अधिकारियों ने निवासियों से पाइप के साथ पानी पंप करने के लिए मौजूदा धन की कमी बतायी. इस मामले में यूनिसेफ द्वारा राज्य पानी कंपनी के लिए $ 200,000 शुल्क का भुगतान करने के बाद ही लोगो को नल पर पानी मिल पाया.
इसके अलावा अंगोला के कुप्रशासन का ब़डा कारण कुशल सिविल सेवकों की कमी और साथ ही बहुत अधिक लाल टेप है. अधिकारियों ने हाल ही में 3,000 नए बसें खरीदी और इन बसो के लिये केवल 1500 ड्राइवरों मिल सके.नौकरशाही निहायत अक्षम है. जब विश्व बैंक ने अंगोला के लिए एक ऋण की पेशकश की, तो कागजी कार्रवाई के लिए ही दो साल लग गए. विशेष रूप से, निजी क्षेत्र ग्रस्त है. यहाँ एक व्यवसाय प्रतिस्ठान स्थापित करने के लिए 56 श्रमसाध्य कदम उठाने पडते है.
आलोचकों की शिकायत है कि सरकार मुख्य रूप से पूर्व छापामारों के एक कांटेदार लेकिन गुरूर से ग्रस्त गुट है, जो अपनी आत्मश्लाघा के लिये सफेद हाथी परियोजनाओ पर भारी खर्च और भुगतान करते है. अफ्रीका कप के, एक फुटबॉल टूर्नामेंट के लिए चार स्टेडियमों पर अरबो डॉलर खर्च किए गये,एक भव्य शेयर बाजार का निर्माण किया, हालांकि यहां कोई एक्सचेंज नही होता है.
गर्त में देश
बड़ी परियोजनाओं मे भारी भरकम खर्च सरकार मे बैठे लोगो को बढिया उच्छिष्ट भी प्रदान करते हैं. ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल, एक बर्लिन आधारित लॉबी , द्वारा प्रकाशित भ्रष्टाचार के विचारों की रैंकिंग में, अंगोला 22 से नीचे से गिर कर पिछले दो साल में 10 वीं पर पहुँच गया है .
हालाँकि सरकार के रक्षकों का कहना है कि कम से कम सभी एकमुश्त पैसे की चोरी नहीं की जा रही है बल्कि कुछ हिस्सा तो देश के विकाश मे लग रहा है. लेकिन अनुबंध padding के साथ ही, अधिकारियों के माध्यम से राज्य की संपत्ति जब्त कर उसका निजीकरण या घाटा दे रही निजी कंपनियों की जमानत में सार्वजनिक कोष से चीर धाँधली. लगभग हर मोड़ पर Angola को भारी छति पहुँचा रही है . सत्ता से जुड़े हर शख्स को अतिरिक्त व अवैध फायदा पहुँच रहा है. एक किसान 100 avocados के एक बॉक्स के लिए $ 10 कमाता है. पर लुआंडा तक पहुँचने मे मूल्य $ 5 प्रत्येक बढ जाता है, क्योकि रास्ते मे अधिकारियों, सैनिकों और पुलिसकर्मियों को विशेस भुगतान देना होता है. सत्तारूढ़ पार्टी के शीर्ष के निकट के एक डॉक्टर को लुआंडा में कूडा-संग्रह के लिए एक विशेस रियायत वाला काँट्रैक्ट है और प्रतियोगियों को बाहर रखा गया है, लेकिन वह गरीब जिलों में कोई भी सेवा प्रदान करने में विफल रहता है. सड़कों पर फल, मल और अन्य रोग के प्रसार कतरे सड़ से भर रहे हैं.
इस kleptocratic प्रणाली के पीछे तर्क जटिल है. लंबे गृह युद्ध जीतने के पश्चात् , सत्तारूढ़ पीपुल्स मूवमेंट फार लिबरेसन(MPLA) के सदस्यों को लगता है कि वे लूट के एक हिस्से के हकदार है. , पिछले 31 वर्षों से देश के रास्ट्रपति बने बैठे जोस Eduardo डॉस सैंटोस भी अपने पिछलग्गुओ को उपकृत कर अपनी वफादारी सुनिश्चित करके खुश लगते है. उनके अपने ही परिवार के कई कंपनियों में पैसे है. हालांकि सार्वजनिक तौर और दिखावटी तौर पर तो वे निजी उद्यम और विदेशी प्रतिस्पर्धा के पक्ष में है, किन्तु श्री डॉस सैंटोस पूर्व, सोवियत संघ में प्रशिक्षित,एक संरक्षणवादी मार्क्सवादी है और सत्ता मे बैठे अपने ही लोगो द्वारा कुचक्रित इन बाधाओं को वे बहुराष्ट्रीय कंपनियों को रोकने का एक साधन के रूप में समझते है .
पहले से ही उप सहारा अफ्रीका के दूसरे सबसे लंबे समय रास्ट्रपति बने रह चुके, श्री डॉस सैंटोस ने संविधान परिवर्तन कर अपना कार्यकाल 2022 तक के लिए , बिना सीधा चुनाव का सामना किये बढा लिया है. लेकिन सम्पूर्ण सत्ता रास्ट्रपति के कार्यालय में केंद्रित है. यह सभी बजटों और नियुक्त न्यायाधीशों, वकीलों की, जनरल, राज्यपालों और चुनाव आयुक्तों नियंत्रित करता है.
आगामी चुनौतीपूर्ण भविस्य
फिर भी , केंद्रीकृत राजनीति और एक लोभी राजसत्ता अंगोला के आर्थिक भविष्य व तेज विकाश के लिए की फिलहाल तो अडचन नहीं लग रहे हैं. 24 फ़रवरी सरकार को सरकार नया प्रीसाल्ट अपतटीय तेल रियायतें घोषणा कर रहे हैं जो कि geologically ब्राजील में अटलांटिक पार के समान ही है. यह अंगोला को विश्व के प्रमुख तेल उत्पादक देशों में से एक में बदल सकती है.
लेकिन राजनीतिक बदलाव के बिना, गरीब बहुमत जनता को शायद ही कोई लाभ होगा. इसलिये आश्चर्य की बात नहीं,कि वर्तमान सत्ता के विरुद्ध सार्वजनिक क्रोध का निर्माण हो रहा है. Cazenga, लुआंडा का एक जिला है जो कि पारंपरिक रूप से सत्तापार्टी MPLA का गढ़ रहा है, में पिछले महीने अफ्रीकी कप के दौरान Togolese टीम पर शूटिंग से सुर्खियों आया और यह दर्शाता है कि अलगाववादियों तेजी से सक्रियता हैं. सैनिकों की शिकायत है कि जनरलों कीचोरी से सेना का बजट इतना कम है कि उन्हे ठीक जूते तक नहीं मिलते है. यहां तक कि राष्ट्रपति की बेटियों में से एक ने इन सत्ताधारी -कुलीन वर्गों के खिलाफ " प्रतिस्पर्धी व्यापार को नष्ट करने और तोड़ - फोड़ के लिए संभव जाल की सबसे बड़ी संख्या" कहा है . परेशान पश्चिमी तेल कंपनियों इस बढते जनआक्रोश को देखते हुए, स्थानीय स्कूलों और अस्पतालों को लाखो की मदद और सहायता दे रहे है .
हालाकि लम्बे गृह युद्ध मे मारे गये 15 लाख लोगों की याज अभी भी ताजा है इसलिये फिलहाल किसी विद्रोह की संभावना तो नहीं है लेकिन 2012 के संसदीय चुनाव पिछली बार, जब MPLA वोट का 80% जीते थे, सत्तापार्टी के लिये ज्यादा चुनौतीपूर्ण होगे. हालाकि बदलाव के लिए अभी और प्रतीछा करनी पड सकती है .
बहुत खूब! खासकर हिन्दी मे बेहतरीन ब्लाग पढ़ने को मिले, आप का याय प्रयास निरंतर जारी रहे, ऐसी मेरी कामना है, पिछले दिनो वेब की ताकत विश्व पटल पर गुंजायमान रही और ऐसी आवश्यकता कमोबेश सभी समाजों मे महसूस की जा रही है| मैंने कुछ वर्षो पूर्व एक भाषा विशेषज्ञ का संबोधन सुना था, जिसमे उन्होने वेब को सूचना संप्रेषण के चौथे बढ़े आविष्कार के रूप मे रेखांकित किया था, सर्व प्रथम संकेतों की भाषा, फिर चित्रण तदुपरांत अक्षर | माना की वेब के आविर्भाव से भाषा का मूल, रूप काफी हद तक प्रभावित हो रहा है, तथापि आपका यह प्रयास और बंधुओ के लिए प्रेरणा श्रोत का काम करेगा| आप निश्चित ही साधुवाद के पात्र है|
ReplyDeleteप्रिय प्रशांत,
ReplyDeleteउत्साहबर्धन हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद । आप का यह कथन सर्वथा सत्य है कि इस इन्टरनेटीय युग में भाषा का मूल रूप काफी हद तक प्रभावित तो हुआ है , किन्तु जब तक विचारों की मौलिकता व उनके प्रभावशाली सम्प्रेषण को भाषा का समर्थन मिल रहा है , हमें बिना किसी पूर्वाग्रह के इन बदलते स्वरूपों का स्वागत व सम्मान करना ही होगा ।