Thursday, October 6, 2011

स्वतंत्रमना स्टीव जॉब्स (22फरवरी,1955 - 5अक्तूबर,2011)


आज सुबह  उठते ही मेरे बेटे ने बड़े उदास मन से मुझे सूचित किया कि स्टीव जॉब्स का देहांत हो गया। यह सुनते ही मेरी बेटी भी चौंकते बिस्तर से उठ गयी और उदास होते दु:खी मन से बोली, अरे! बहुत बुरा हुआ।

मैं स्टीव के बारे में बहुत मामूली और बस इतनी ही सीमित जानकारी रखता था कि वे एप्पल कम्पनी के मुखिया थे, जो  पिछले दो दशकों में मैक कम्प्यूटर,आई-पॉड,आई-फोन व आई पैड जैसे अद्भुत सुंदर,सलीकेकार व दक्ष इलेक्ट्रॉनिक गैड्जैट को बाजार में लायी ,जो दुनियाभर में युवा व नयी पीढ़ी के लिये क्रेज बन गये व वे ऐतिहासिक सफल प्रोडक्ट बन गये, और कुछ माह पूर्व ही, वे लीवर कैंसर की बीमारी के कारण अपने खराब व गिरते स्वास्थ्य के कारण कम्पनी के मुखिया का पदभार छोड़ दिया था।

जैसा कि मैंने आपको बताया कि इस महामना के जीवन व व्यक्तित्व पर मेरी जानकारी सीमित ही है, और अब मुझे अनुभव हो रहा है कि मेरा सामान्य ज्ञान कितना कमजोर होता जा रहा है, पर मेरे बच्चों ने स्टीव के जीवन व उनके विलक्षण व्यक्तित्व के बारे में निम्न महत्वपूर्ण सूचना दी-

स्टीव का जन्म 1955 में यूनाइटेड स्टेट्स के सैन फ्रॉन्सिसिको में एक बिना व्याही माँ के द्वारा हुआ था, और उन्हें एक जॉब्स दम्पत्ति (पॉल और क्लारा) ने उन्हें उनके शिशुकाल में ही  गोद ले लिया था। उनके परिवार की माली हालत अच्छी नहीं थी अतः अपने जीविकोपार्जन व पढ़ाई के खर्चे के लिये , स्कूल में पढ़ने के साथ-साथ उन्हें बाहर काम भी करना पड़ता था।

सत्रह वर्ष की आयु में कैलिफोर्निया में हाईस्कूल पूरा करके वे ओरेगॉव के रीड्स कॉलेज में दाखिला लिये पर एक सेमिस्टर के बाद कॉलेज छोड़ दिया। इस बीच कोक की खाली बोतल बेचकर व वहाँ के हरे-कृष्ण मंदिर में दान के भोजन द्वारा जीवनयापन करते थे।1974 में वापस कैलिफोर्निया आकर एक कम्प्यूटर क्लब व वीडियोगेम बनाने वाली कम्पनी-अटारी में शौकिया तौर पर काम करने लगे,और वहीं उनकी दुबारा मुलाकात अपने हाईस्कूल के दिनों के साथी स्टीव वोज्निक से हुई जिसके साथ मिलकर बाद में उन्होने अपनी खुद की कम्पनी शुरू की, जो आज एप्पल कारपोरेसन के नाम से जानी जाती है।

इस बीच वे आध्यात्मिक व मानसिक शांति की तलाश में भारत भी आये,यहाँ वे कैंची ( उत्तर प्रदेश) के नीमकरोली बाबा के आध्यात्मिक शरण में कुछ समय बिताया, अपनी पाश्चात्य वेशभूषा त्याग भारतीय रहन-सहन में रहने लगे, और अंतत: बौद्ध धर्म की दीक्षा ली।1976 में यूनाइटेड स्टेट्स वापस आकर अपने स्कूल के साथी स्टीव वोज्निक व एक अन्य मित्र रोनाल्ड वैने के साथ मिलकर एक छोटे से गैरेज से अपनी खुद की कम्प्यूटर एसेम्बल करने की कम्पनी खोली और उसका नाम रखा 'एप्पल कम्प्यूटर्स' ।नये व्यवसाय को शुरू करने के लिये धन की व्यवस्था अपनी पुरानी फोक्सवैगन वैन को बेच कर व यारदोस्तों की मदद से किया।और आगे की कहानी तो कहने की आवश्यकता ही नहीं,क्योकि वह तो विश्व- उजागिर हैं।

बाद में कम्पनी के विश्वस्तरीय विस्तार के लियें उन्होने दुनिया के जाने-माने व्यवसाय रणनीतिकार व उस समय पेप्सिको कम्पनी के मुखिया जॉन स्लरी को एप्पल कारपोरेशन का मुखिया बनाया, और विडम्बना देखिये कि उन्ही जान स्लरी ने आपसी मनमुटाव के कारण 1984 में खुद स्टीव जॉब को कम्पनी से बाहर कर दिया।

स्टीव एप्पल कारपोरेसन से निकाले जाने पर भी अपने नयी नयी खोजों व तकनीकी नवाचारों में उसी उत्साह, जुनून व ऊर्जा के साथ लगे रहे। अंतत: 1996 में उनकी नयी कम्पनी नेक्स्ट कम्प्यूटर को एप्पल कारपोरेसन द्वारा अधिग्रहित करने  पर वे वापस एप्पल में आ गये और फिर से कम्पनी के मुखिया बना दिये गये।तब से पिछले कुछ माह पूर्व, स्वास्थ्य कारणों से उनके पद छोड़ने, तक वे कम्पनी के लगातार मुखिया रहे, और इस अवधि में एप्पल ने इतिहास रचते हुये अपने नये नये प्रोडक्ट्स व व्यवसाय तरीकों से न सिर्फ दुनिया की सबसे बड़ी कम्पनी में से एक बन गयी बल्कि इसने सम्पूर्ण विश्व व इसकी जीवन शैली को बदलते हुये एक नया व आधुनिक स्वरूप दिया है।

5 अक्टूबर 2011 को उनके देहांत पर शोक करते, स्टीव के पुराने सहकर्मी व एप्पल कम्पनी के निदेशक मंडल ने निम्न शब्दों के साथ उन्हे श्रद्धांजलि अर्पित की- स्टीव की प्रतिभा,जुनून व ऊर्जा अनेकों नवाचारों की श्रोत थीं, जिनसे हम सबके जीवन में उल्लेखनीय गुणात्मकता वृद्धि व सुधार हुआ।स्टीव के कारण आज विश्व असाधारण रूप से बेहतर हुआ है।'

स्टीव जॉब्स का भारतीय आध्यात्म व दर्शन में गहरी रुचि व इसका उनके जीवन व कार्य में गहरा प्रभाव था। उनका रहन-सहन , वेष-भूषा, खान-पान एक साधारण भारतीय की ही तरह था, और वे दिखने में वे एक भारतीय मनस्वी की ही तरह लगते थे। वे प्रायः कहते- जो मेरे जीवन के आध्यात्मिक व दार्शनिक दृष्टिकोण को नहीं समझता, वह मेरे कार्य व व्यवसाय करने के तरीके को भी नहीं समझ सकता।

इस विलक्षण व्यक्तित्व, दिखने में किसी भारतीय मनस्वी तुल्य, स्वतंत्रमना को मेरा नमन व हार्दिक श्रद्धांजलि।

3 comments:

  1. स्टीव जॉब्स को हार्दिक श्रद्धांजलि।

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  2. यह तो बड़ी अद्भुत जानकारी जुटा दी स्टीव जोब्स के बारे में. उनके भारतीय संपर्क से तो मैं पूर्णरूपेण अनभिज्ञ थी. सचमुच एक अद्भुत सख्शियत के मालिक को दुनिया ने खो दिया. उन्होंने कंप्यूटर को ऐसा आयाम दे दिया है कि अब उसके बिना रह पाना असंभव है. नमन एक बार फिर स्टीव को.

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  3. आज की सुबह अवसाद लेकर आयी, युगपुरुष चला गया।

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